: वरिष्ठ पत्रकार “रत्नमणि डोभाल के नजरिये से जिले की चुनावी राजनीति…
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जानिए क्या कहती है हरिद्वार की राजनीति ?
जनपद में उत्तराखण्ड विधानसभा की सर्वाधिक 11 सीटें हैं। वर्तमान विधानसभा में 8 भाजपा और तीन कांग्रेस के पास हैं। इसमें कोई बहुत बड़ा बदलाव होता नहीं दिखता है। कांग्रेस की जमीनी हालत 2017 से खराब है। याद रहे 2017 का चुनाव कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए हुआ था।
2022 का विधानसभा चुनाव भी मुख्य रूप से सत्तारुढ़ भाजपा तथा कांग्रेस के बीच ही होने जा रहा है। लेकिन भाजपा व कांग्रेस में फासला काफी लंबा है, जिसको कम करने की हैसियत मौजूदा कांग्रेस में नहीं दिखती है।
सीटों के हिसाब से देखें तो भाजपा के साथ ही सभी 11 सीटों पर मुकाबला होना है। रूड़की, खानपुर व खानपुर की तीन सीटों पर भाजपा का बसपा से मुकाबला है। शेष आठ सीटों पर भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं। किसी सीट पर त्रिकोणीय भी बन सकता है लेकिन यह अभी दूर का बात है।
कांग्रेस वर्तमान तीन सीटों के अलावा किसी चौथी सीट पर राजनीतिक बढ़त पर दिखती नहीं है क्योंकि वह राजनीति कर ही नहीं रही है। कांग्रेस अगर इसी में रहती है तो मानकर चलिए नगर हरिद्वार, रानीपुर और हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट वह भाजपा को गिफ्ट में देने जा रही है।
नगर हरिद्वार सीट पर तो उसका मानों मदन कौशिक से अघोषित अनुबंध है कि जब तक इच्छा है तब तक रहो, जब मन भर जाए या दिल्ली जाना चाहो तो बता देना। यह अलग बात है कि मदन कौशिक के लिए कांग्रेस चुनौती भले न हो पर भाजपा और संघ के अंदर की स्थिति तो उनके भी अनुकूल नहीं है।
देखना दिलचस्प होगा कि प्रथम महापौर रहे मनोज गर्ग अपने राजनीतिक गुरू को टक्कर दे पाते हैं या नहीं। लेकिन उनकी कोशिश में कमी तो नहीं है। औसतन हर महीने गंगाजलि लेकर वह दिल्ली दौड़ रहे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नहीं बदलती है तब मनोज गर्ग की राह आसान हो जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए मदन कौशिक को 70 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। ऐसे स्थिति में उनकी सीट पर भाजपा चेहरा बदल भी सकती है।
हरिद्वार कांग्रेस राजनीतिक रूप से इतनी दिवालिया हो गई है कि उसे अपने परंपरागत वोट मुसलमानों से ही डर लगने लगा है। उनको कांग्रेस की राजनीति की मुख्यधारा में लाने से ही उसके नेता डरते हैं कहीं हिंदू नाराज न हो जाए। कांग्रेस को इस स्थिति में पहुंचाना संघ की सफलता है।
रतनमणी डोभाल….✍️