सियासत ने निकम्मा कर दिया ग़ालिब, वरना खनन वाले भी काम के लोग थे जनाब…
पंच👊नामा
पुष्पराज धीमान
हरिद्वार: मन लालची, मन लोभी, मन मूरख, मन गंवार..
“श्रम करने को आलसी, खाने को तैयार… कबीर दास का ये दोहा वैध और अवैध खनन करने वालों पर एकदम सटीक बैठता है। खनन से होने वाली मोटी कमाई को देखते हुए यह खनन कर्मी किसी किसान या अन्य किसी मिस्त्री के पास मजदूरी नहीं करते, क्योंकि यहां पर मेहनत ज्यादा और मजदूरी खनन कार्य की अपेक्षा आधी ही होती है। इस कारण खनन करने से जुड़े मजदूर इस समय खुद को परेशान महसूस कर रहे। आजकल सरकार ने खनन पर रोक लगा रखी है चोरी-छिपे थोड़ा-बहुत अवैध खनन चल रहा है लेकिन अधिकतर लोग आजकल खनन नहीं कर पा रहे हैं, यहां तक के झोटा बुग्गी वाले भी खनन ना होने से खासे परेशान है। यह वही खनन बेल्ट है जिन्होंने खनन खुलने की उम्मीद में पूर्व कैबिनेट मंत्री यतिस्वरानंद को नकार कर कांग्रेसी प्रत्याशी अनुपमा रावत को खासे वोट दिए और जीता भी दिया, लेकिन उसके बावजूद भी इनके प्रिय रोजगार खनन के दरवाजे फिर भी नहीं खुले, महीने भर बाद बरसात शुरू हो जाएगी और खनन कार्य प्राकृतिक रूप से बंद हो जाएगा। आजकल झोटा बुग्गी वाले खनन खोले जाने की मांग को लेकर क्षेत्रीय विधायक अनुपमा रावत से मिलकर खनन खुलवाए जाने की मांग कर रहे है, लेकिन अनुपमा रावत ने भी खनन के विषय में इन खनन कारोबारियों को सीधा-सीधा आश्वासन ना देते हुए सरकार को घेरने की बात कही है। फेरूपुर स्थित कार्यालय पर पहुंचे झोटा बुग्गी से खनन करने वालों ने उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा है। इस मौके पर अनुपमा रावत ने उनकी इस समस्या को विधानसभा तक उठाने की बात कही लेकिन झोटा बुग्गी वालों के पास तो सिर्फ एक महीना का इस समय बचा है, खनन कारोबारियों ने कहा कि खनन ना होने से उनके सामने रोटी का संकट भी गहराता जा रहा है, हालांकि किसान यही कहते हैं कि खनन से जुड़ा हुआ मजदूर किसान के यहां मजदूरी नहीं करता क्योंकि यहां मेहनत अधिक और कमाई कम, इसलिए खनन की कमाई का चस्का इनसे छूटता नही।