पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: हरिद्वार ग्रामीण सीट पर बसपा प्रत्याशी बदलने के बाद ज्वालापुर सीट पर भी प्रत्याशी बदलने की संभावना नजर आ रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि बसपा प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल सिंह के बतौर प्रत्याशी नामांकन कराने के बाद शुक्रवार को यहां से बृजरानी ने भी बसपा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। रणनीति के तहत उन्होंने नामांकन पत्र का एक सेट निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जमा कराया है। सूत्रों के अनुसार, गणित यह है कि सिंबल जमा करने से पहले बसपा बृजरानी को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो वह सिंबल जमा करा कर बसपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी। बात नहीं बनती है तो निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर भाग्य आजमायेंगी। दोनों ही परिस्थितियों में ज्वालापुर सीट पर चुनावी समीकरण बदलना तय माना जा रहा है।
ब्रज रानी 2012 में कांग्रेस के टिकट पर ज्वालापुर सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं। भाजपा के चंद्रशेखर भट्टे वाले ने उन्हें मामूली अंतर से हराया था। लेकिन 2017 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। तब उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा। जिसके चलते कांग्रेस प्रत्याशी एसपी सिंह इंजीनियर को भी हार का सामना करना पड़ा और भाजपा के सुरेश राठौर विजयी हुए। पिछले सप्ताह अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद बृजरानी की फिर से कांग्रेस में घर वापसी हुई और उन्हें कांग्रेस के टिकट का प्रमुख दावेदार माना गया। लेकिन पार्टी ने बरखा रानी को प्रत्याशी बनाया। विरोध के बाद टिकट बदलकर इंजीनियर रवि बहादुर को दे दिया गया। अब इस सीट पर एक और बदलाव की सुगबुगाहट नजर आ रही है। दरअसल शुक्रवार को नामांकन के अंतिम दिन बृजरानी ने बतौर निर्दलीय नामांकन करने के साथ-साथ नामांकन पत्र के एक सेट में खुद को बसपा का उम्मीदवार बताया है। यह हैरान करने वाली बात है इसलिए भी है कि बसपा प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल सिंह खुद यहां से चुनाव लड़ रहे हैं और 2 दिन पहले नामांकन भी करा चुके हैं। बावजूद इसके बृजरानी का बसपा प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करना राजनीतिक हलकों में कई ताजे समीकरण बना रहा है। जानकारी लेने पर पता चलता है कि बृजरानी बसपा के उच्च स्तर पर पदाधिकारियों के संपर्क में हैं और उन्हें आश्वासन भी दिया गया है। सिंबल जमा करने से पहले यदि उन्हें बसपा अपना प्रत्याशी बना देती है तो वह बसपा का सिंबल जमा कर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगी। यदि किसी कारण से बसपा उन्हें अपना प्रत्याशी नहीं बनाती है तो बसपा प्रत्याशी के तौर पर दाखिल किया गया। उनका नामांकन पत्र खारिज हो जाएगा और वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगी। दोनों ही परिस्थितियों में ज्वालापुर सीट पर चुनावी समीकरण आमूलचूल तरीके से बदल जाएंगे। बृजरानी का चुनाव मैदान में आना कांग्रेस प्रत्याशी इंजीनियर रवि बहादुर के साथ-साथ भाजपा के सिटिंग विधायक सुरेश राठौर के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा।