देहरादून

“महिला सुरक्षा पर निजी कम्पनी का सर्वे निराधार, देहरादून पुलिस ने किया खंडन..

नौ लाख महिलाओं की आबादी वाले देहरादून में 400 महिलाओं से राय लेकर बनाई गई मनगढ़ंत रिपोर्ट..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: “पी वैल्यू एनालिटिक्स” नामक निजी कम्पनी के NARI-2025 शीर्षक से जारी सर्वे रिपोर्ट में देहरादून को महिलाओं के लिए देश के 10 असुरक्षित शहरों में शामिल करने पर विवाद खड़ा हो गया है। मंगलवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने पत्रकार वार्ता कर इस रिपोर्ट का खंडन किया और तथ्य सामने रखे।एसएसपी अजय सिंह ने कहा कि यह सर्वे किसी भी सरकारी एजेंसी से नहीं कराया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग ने भी स्पष्ट कर दिया है कि उनकी ओर से ऐसा कोई सर्वे नहीं कराया गया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के मुताबिक यह रिपोर्ट पूरी तरह निजी कम्पनी का स्वतंत्र कार्य है, जो अपराध के वास्तविक आंकड़ों पर नहीं बल्कि व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित है।
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400 महिलाओं की राय से तैयार रिपोर्ट…..सर्वे 31 शहरों में 12770 महिलाओं से टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर तैयार किया गया। देहरादून में महिलाओं की लगभग नौ लाख आबादी है, लेकिन रिपोर्ट केवल 400 महिलाओं की राय लेकर तैयार कर दी गई। यानी कुल आबादी के 0.04 प्रतिशत को ही आधार मान लिया गया।
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महिला सुरक्षा एप का बड़ा इस्तेमाल…..रिपोर्ट में कहा गया कि केवल 4 प्रतिशत महिलाएं सुरक्षा एप का इस्तेमाल कर रही हैं, जबकि गौरा शक्ति मॉड्यूल में 1.25 लाख महिलाएं रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 16,649 पंजीकरण सिर्फ देहरादून जिले के हैं। इसके अलावा डायल 112, पुलिस एप, सीएम हेल्पलाइन और पुलिस पोर्टल का भी महिलाएं नियमित इस्तेमाल कर रही हैं।
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पेट्रोलिंग और अपराध दर के आंकड़े….सर्वे में पुलिस पेट्रोलिंग पर भी सवाल उठाए गए। जबकि रिपोर्ट के मुताबिक कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है और देहरादून का 33 प्रतिशत। यानी पेट्रोलिंग के मामले में देहरादून कोहिमा से भी बेहतर है। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा में देहरादून का स्कोर 6 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 7 प्रतिशत से कम है।क्राइम रेट को लेकर रिपोर्ट में 18 प्रतिशत का आंकड़ा बताया गया, जबकि अगस्त महीने में डायल 112 पर 12,354 शिकायतें दर्ज हुईं। इनमें से केवल 2287 शिकायतें महिलाओं से जुड़ी थीं और उनमें से भी 1664 घरेलू झगड़ों से संबंधित थीं। छेड़छाड़ और यौन हमलों की शिकायतें सिर्फ 11 थीं, जो कुल का एक प्रतिशत से भी कम है। पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट रहा।
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शिक्षा और सुरक्षा का माहौल…..देहरादून में 70 हजार से ज्यादा बाहरी छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 43 प्रतिशत छात्राएं हैं। विदेशी छात्र भी यहां शिक्षा ले रहे हैं। सभी सुरक्षित माहौल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। प्रत्येक थाने पर महिला हेल्प डेस्क, वन स्टॉप सेंटर, 13 गौरा चीता मोबाइल यूनिट और पिंक बूथ जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं।
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सीसीटीवी से चौकस निगरानी…..शहर में स्मार्ट सिटी और पुलिस कंट्रोल रूम के कैमरों समेत लगभग 14 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सभी की गूगल मैपिंग हो चुकी है और इनकी मदद से पुलिस लगातार निगरानी कर रही है।
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एनसीआरबी डेटा भी सुरक्षित बताता है…..
एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि देहरादून में अपराध दर मैट्रो शहरों से काफी कम है। यही कारण है कि यहां प्रतिष्ठित केंद्रीय व शैक्षणिक संस्थान स्थापित हैं और बड़ी संख्या में पर्यटक व छात्र यहां आते हैं।
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एसएसपी बोले…..“हम किसी भी सर्वे के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, लेकिन नीति बनाने के लिए जरूरी है कि सर्वे वैज्ञानिक और तथ्यात्मक हो। केवल 400 महिलाओं की राय के आधार पर पूरे शहर को असुरक्षित कहना उचित नहीं है।” – अजय सिंह, एसएसपी देहरादून

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