हरिद्वार

बिना होलोग्राम वाली विदेशी शराब बिकने पर आबकारी निरीक्षक की कार्यशैली पर सवाल..

लोकल टीम सक्रिय होती तो देहरादून से टीम भेजने की नहीं पड़ती ज़रूरत, जिलाधिकारी ने बैठाई जांच..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जिला मुख्यालय रोशनाबाद में अंग्रेजी शराब के ठेके पर बिना होलोग्राम की 55 पेटी विदेशी शराब मिलने के मामले में स्थानीय आबकारी निरीक्षक संजय रावत की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। बड़ा सवाल यह है कि बिना होलोग्राम के भी विदेशी शराब की खेप बेच देने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, ऐसे में राज्य सरकार को ही राजस्व की हानि होना तय है।

फाइल फोटो

साफ है कि अगर स्थानीय आबकारी टीम एक्टिव होती तो देहरादून से टीम को पहुंचकर कार्रवाई करने की आवश्यकता न पड़ती। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने पूरे मामले की गहनता से जांच कराने की बात कही है।

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रविवार को देहरादून आबकारी मुख्यालय से पहुंची आबकारी टीम ने रोशनाबाद के अंग्रेजी शराब के ठेके पर छापेमारी की थी। टीम को दुकान से 55 पेटी बिना होलोग्राम लगी विदेशी शराब की मिली थी। देर रात ही आबकारी टीम ने अंग्रेजी शराब की दुकान को अग्रिम आदेश तक सील कर दिया था।

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इधर, जिला आबकारी अधिकारी पवन सिंह के निर्देश पर हुई जांच में सामने आया कि अंग्रेजी शराब की दुकान के स्वामी के पास होलोग्राम थे, पर उसने पेटियों पर होलोग्राम नहीं लगाए हुए थे। विदेशी शराब की पेटियों के बिल भी आबकारी महकमे को मिले है। अब आबकारी महकमा संभवत उस पर नियमानुसार जुर्माना कर सकता है, जिसके बाद दुकान पर लगी सील भी खुल जाएगी।

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रह-रह कर यह सवाल आ खड़ा हो रहा है कि जब देहरादून आबकारी मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की टीम को बिना होलोग्राम लगी शराब की पेटियों की मौजूदगी की सटीक जानकारी मिल सकती है तो फिर भला यहां बैठी स्थानीय टीम आखिर कैसे चूक गई। स्थानीय आबकारी निरीक्षक संजय रावत की कार्यशैली पर सीधे सीधे सवाल खड़े होना तय है, क्योंकि बिना होलोग्राम लगी शराब बेची नहीं जा सकती है।

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जब होलोग्राम ही नही लगा होगा तब यह भी साबित नहीं हो सकता है, आखिर शराब उत्तराखंड राज्य की है भी या नहीं। जिला आबकारी अधिकारी पवन सिंह ने बताया कि होलोग्राम मौजूद थे, लेकिन लगाए नहीं गए थे। दुकान स्वामी पर जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी, जिसके बाद दुकान खुल जाएगी।
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फाइल फोटो

पूरे मामले को गंभीरता से लिया गया है। राजस्व से जुड़ा मामला है। ऐसे में मामले की जांच कराई जानी आवश्यक है। जांच के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी कि आखिर किसकी लापरवाही है।
धीराज सिंह गर्ब्याल, जिलाधिकारी हरिद्वार..

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