उत्तराखंड

डीजीपी और एसएसपी के खिलाफ अपशब्द को लेकर बॉबी पंवार पर भड़के रमेश जोशी..

सुराज सेवादल ने पूछा सवाल, किसके लिए कठपुतली बन उत्तराखंड का युवा नेता बॉबी पंवार..

पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: सोशल मीडिया पर डीजीपी और एसएसपी के खिलाफ अपशब्द लिखने को लेकर सुराज सेवादल के अध्यक्ष रमेश जोशी ने बॉबी पंवार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि किसी के बारे में लिखने या बोलने से पहले बॉबी पंवार को जानकारी अच्छे से जुटा लेनी चाहिए, या सोच समझ कर लिखना चाहिए।

रमेश जोशी (सुराज सेवादल अध्यक्ष)

उन्होंने कहा आप उत्तराखंड के भविष्य हैं, कर्ण’धार हैं आपकी एक अनजाने बोल से हजारों लाखों युवाओं का भविष्य अंधकार में डूब सकता है, प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा सकती है, प्रदेश में दंगे भड़क सकते हैं। उन्होंने कहा अपने शुरुआती लड़ाई बहुत शानदार लड़ी सारी युवाओं की धड़कन बने लेकिन राजनीति में आने की जल्दबाजी और युवाओं के मुद्दे से भटक कर आपने कई राजनीतिक मुद्दे उठाए, बीजेपी सरकार को टारगेट करने की बजाय आप व्यक्ति विशेष पर बोलने लगे और कांग्रेस को खुश करने के लिए आपने एक रणनीति के तहत जो कार्य किया वह बेहद निंदनीय है।

फाइल फोटो: बॉबी पंवार

रमेश जोशी ने कहा जब आपको बागेश्वर से चुनाव नहीं लड़ना था तो आप बागेश्वर चुनाव के दौरान जाकर कानून व्यवस्था को क्यूं डगमगाना चाहते थे। उप जिलाधिकारी मनीष के खिलाफ बोलकर आपने मुद्दा क्यों छेड़ा, मंडी समिति के खिलाफ बोलकर आप क्यों चुप हो गए, महावीर सिंह के खिलाफ बोलकर मुद्दे को आगे क्यों नहीं बढ़ाया, बागपत से आकर जो लोग शिक्षण संस्थान चला रहे हैं आपने उनका विरोध क्यों नहीं किया..? क्या आप समर्थन करते हैं उनका…? आपकी विचारधारा क्या है..?

फाइल फोटो: सवाल

आप उत्तराखंड के युवाओं को कोचिंग सेंटर खुलवाकर क्यों नहीं आगे बढ़ाते…? जब आप चुनाव के लिए फंडिंग ले सकते हैं तो क्या बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार शिक्षण संस्थान नहीं खुलवा सकते..? आपने देहरादून एसएसपी व डीजीपी अभिनव कुमार के लिए लिखा, आपने कभी पूर्व डीजीपी का विरोध क्यों नहीं किया…? जिनके नेतृत्व में उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं पर लाठी चार्ज हुआ, अंकिता हत्याकांड जैसे अपराध पर न्याय नहीं दिला पाए और अभिनव कुमार के डीजीपी बनने से पहले ही कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी।

फाइल फोटो: उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय

आपने क्यों नहीं विरोध किया जब उत्तराखंड के सिपाहियों का हक मारा और 4600 ग्रेड पे पर पूर्व डीजीपी ने सिपाहियों को निलंबित किया। आप ने क्यों नहीं विरोध किया जब उत्तराखंड का हक छीन और जनपद वार सिपाहियों के भर्ती को समाप्त किया गया, नीट नकल परीक्षा पर आपने उत्तराखंड की तरफ से आंदोलन क्यों नहीं खड़ा किया..? रवि बडोला पर अपराधियों की गिरफ्तारी हो गई लेकिन मुआवजा और सरकारी नौकरी के लिए लगातार सरकार से युद्ध क्यों नहीं जारी रखा।

रमेश जोशी (सुराज सेवादल अध्यक्ष)

एक तरफ विकास नगर में ठेली वाले के खिलाफ बोल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शिक्षण संस्थान के हक में बोल रहे हैं। डीजीपी और एसएसपी की कार्यशैली को बताते हुए रमेश जोशी ने कहा अभिनव कुमार बेहद ईमानदार हैं जो वास्तव में डेड ऑनेस्ट हैं।एसएसपी देहरादून की ईमानदारी की वजह से ही भर्ती घोटाले में 100 से अधिक लोग जेल चले गए और उनके जांच के बाद ठोस कार्यवाही नहीं हुई।

फाइल फोटो

रिलायंस डकैती कांड पर मुख्य आरोपी जिसे आज तक कभी बिहार की जेल से बाहर नहीं लाया जा सका वहीं उसकी गिरफ्तारी के लिए एसएसपी देहरादून ने कई कई दिन तक बिहार में पड़े रहे उसके जमानती बांड बिहार में भरवा और रिहाई करवाकर देहरादून लेकर आए और पूरी डकैती का पर्दाफाश किया, और एक व्यक्ति का एनकाउंटर भी किया।

फाइल फोटो: अभिनव कुमार (डीजीपी उत्तराखंड)

वही डीजीपी अभिनव कुमार 2004 से 2007 तक जब हरिद्वार में एसएसपी के पद पर थे उस समय माफियाराज, गुंडाराज चरम पर था। सुनील राठी, संजीव जीवा, सुशील मूंछ, अंग्रेज सिंह, अजीत दाह, मनोज नेहरा, अन्ना तारीख अंडरवर्ल्ड डॉन जैसे तमाम अपराधियों का खात्मा किया। उनकी अन्य स्टेट की पुलिस दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस, पंजाब पुलिस, के साथ कोऑर्डिनेशन इतना अच्छा था कि इसी वजह से कई माफिया ढेर हुए। इलाहाबाद बैंक में दिनदहाड़े डकैती हुई उसमें सारे बिहार से क्रिमिनल को अरेस्ट किया और एक मुख्य आरोपी को एनकाउंटर में मार गिराया।

फाइल फोटो: अजय सिंह (एसएसपी देहरादून)

चार्ल्स शोभराज हिंदुस्तान का बहुत बड़ा चीटर हुआ करता था जो दिल्ली तिहाड़ जेल से भाग उसके बाद दूसरा व्यक्ति शेर सिंह राणा दिल्ली तिहाड़ से भाग जो फूलन देवी हत्याकांड में संलिप्त थे उनको हरिद्वार और दिल्ली की स्पेशल सेल ने कोलकाता से गिरफ्तार किया, अजीत दाह जो सुशील मूंछ के बेहद करीबी माना जाता था उनपर 50 से अधिक मुकदमे दर्ज थे, उसको बागपत में एनकाउंटर में ढेर किया।

फाइल फोटो: एनकाउंटर

मनोज नेहरा जो गाजियाबाद का था सुनील राठी का सबसे शार्प शूटर माना जाता था उसको ढेर किया। अन्ना तारीख अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का सबसे शार्प शूटर माना जाता था उसको दिल्ली स्पेशल सेल के साथ मिलकर हरिद्वार रुड़की में ढेर किया। अंग्रेज सिंह जो पुलिस की कस्टडी से पुलिस के हथियारों को छीनकर भागा था उसे अप्रैल 2007 में नागपुर में मार गिराया जो नागपुर का तीसरा एनकाउंटर था। उससे पहले दो एनकाउंटर नागपुर में बहुत पहले हुए थे।

फाइल फोटो: हरिद्वार

सुनील लाठी बरेली जेल में बंद था हरिद्वार में जब उनका खौफ बढ़ने लगा तब हरिद्वार एसएसपी रहते हुए अभिनव कुमार के नेतृत्व में एनकाउंटर स्पेशलिस्टसे कोतवाल कैलाश पवार ने सहारनपुर पेशी बरेली जाते हुए लक्सर में ट्रेन रूकवाई और वहां से ट्रेन से सुनील लाठी को लेकर आए और हरिद्वार जेल में उनके माफिया राज को खत्म करने का कार्य किया। उत्तराखंड में डीजीपी बनने के बाद नवंबर से अभी तक रिलायंस में डकैती में एसएसपी देहरादून को वह पूरी हिम्मत देते रहे और उनकी हिम्मत की वजह से बिहार से सारे अपराधियों को पकड़ कर लेकर आए।

फाइल फोटो: गिरफ्तार

तरसेम हत्याकांड के मुख्य आरोपी को 28 मार्च 2024 को चैलेंजिंग की तरह लिया और 10 दिन में अमरजीत सिंह उर्फ बिट्टू को 9 अप्रैल को मार गिराया, जीवा गैंग के कई शूटर को एनकाउंटर में मार गिराया और उनके माफिया राज को खत्म किया। नशे पर एएनटीएफ के तहत लगभग 5 किलो हीरोइन बरामद करवाई अभी तक सिंथेटिक ड्रग्स पहली बार उत्तराखंड से रिकवर हुई जो बच्चे पब में यूज करते थे।

फाइल फोटो

गुप्ता बंधु जिसे विश्व की सबसे बड़ी शक्तियों में से एक माना जाता था किसी की हिम्मत नहीं थी उनको जेल भेजने की, साहनी बिल्डर हत्याकांड का बदला लेने के लिए उसको तत्काल उठवाया और जेल की सलाखों में पहुंचा, और डीजीपी साहब व एसएसपी दून की ही अच्छी पुलिसिंग और ईमानदारी की वजह से आज आंदोलनकारी की हिम्मत है जो गुप्ता बांधों के मुंह पर स्याही फेंकी गई और उनके माफिया राज को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास रहते हैं। उनका पब्लिक से कर्डिनेशन इतना अच्छा है और उसी का नतीजा था कि अपराधी खत्म हुए वरना उस समय तो बड़े-बड़े माफिया हुआ करते थे और आज भी जो उनकी कार्यशैली है उसे पर आप प्रश्न चिह्न नहीं लगा सकते। महीला अपराध को रोकने के लिए पंथनगर एसएचओ के खिलाफ़ एफआईआर लिखी और लगातार जारी है। ऐसी कार्यशैली वाले अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह लगाना निराशाजनक है।

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