
पंच👊नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: प्रदेश का महत्वपूर्ण जिला हरिद्वार कमाई के मामले में ही नहीं, बहुमुखी प्रतिभा वाले अधिकारियों के मामले में भी माला-माल है। माला के “माल से याद आया कि एक साहब को मनोरंजन और सेलिब्रेशन से लेकर तबाह हो चुके तिलों से तेल निकालने में भी महारथ हासिल है।

आमतौर पर नर्म लेजा रखने वाले साहब अपने शौक पूरे करने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते हैं। फिर इसके लिए उन्हें किसी गैंगस्टर से हाथ मिलाना पड़े या फिर दोषसिद्ध अपराधी से ही मदद क्यों ना लेनी पड़े।

साहब वैसे तो होशियार हैं, लेकिन गलतफहमी का शिकार हैं, उन्हें लगता है कि वह सब को देख रहे हैं और कोई उन्हें नहीं देख रहा है। हां यह बात सही है कि साहब पर्देदारी का पूरा ख्याल रखते हैं और अपने रंगीन शौक पूरे करने के लिए अक्सर काले रंग के शीशे वाली कार में ही निकलते हैं, लेकिन सीसीटीवी कैमरों से भी तेज़ नज़र रखने वाली “पंच👊नामा… टीम की नज़रों से उनके कारनामे छिप नहीं सकते।

जमानत पर जेल से रिहा हुए एक सजायाफ्ता कैदी से साहब की नजदीकियों के चर्चे धीरे-धीरे आम होने लगे हैं। रात हो या दिन, साहब का जब मन करता है, अपनी सल्तनत छोड़कर सजायाफ्ता मित्र के साथ काले शीशों वाली कार में सवार होकर निकल पड़ते हैं।

करीब 30 किलोमीटर दूर बंद कमरे में लगने वाली रंगीन महफ़िल में साहब होते हैं और शबाब होता है। शबाब भी ऐसा कि लौटने के कई दिन तक खुमारी नहीं जाती, काम में मन नहीं लगता। इसलिए फिर निकल पड़ते हैं। इस महफिल की साहब को इस कदर लत पड़ चुकी है कि यह सिलसिला आम हो गया है।

कुर्सी तो छोड़िये, रात दिन अपराधियों से वास्ता पड़ने के बावजूद उन्हें अपनी सुरक्षा का भी कोई ख्याल नहीं है। वैसे अधीनस्थ बताते हैं कि साहब का हाजमा भी बड़ा दुरुस्त है। मालदार अपराधी अक्सर उनके दोस्त बन जाया करते हैं।

धर्म-कर्म से लेकर वेलफेयर तक में उनकी दिलचस्पी के पीछे भी एक बड़ा कारण भी “अर्थ बताया जाता है। खैर निजी शौक होना अलग बात है, लेकिन अपने पद की गरिमा और जीवन की सुरक्षा के लिए अपने पेशे की दुश्वारियां को मद्देनजर रखना भी जरूरी है। साहब की दोस्ती और महफिल यूं ही चलती रही तो किसी दिन कोई बड़ा घटनाक्रम सामने आना तय है।