
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: नाबालिग लड़की का अपहरण कर कमरे में बंधक बनाकर छेड़छाड़ व शारिरिक उत्पीड़न करने के मामले में एडीजे/एफटीएससी न्यायाधीश कुमारी कुसुम शानी ने आरोपी युवक को दोषी पाया है। विशेष कोर्ट ने अभियुक्त को सात वर्ष के कठोर कैद व साढ़े 75 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। साथ ही विवेचक एसआई हिमानी रावत को गंभीर रूप से विवेचना संबंधी लापरवाही बरतने का दोषी पाया है। एसएसपी हरिद्वार को महिला दारोगा के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
शासकीय अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार चौहान ने बताया कि 25 मार्च 2019 को सिडकुल क्षेत्र में एक 15 वर्षीय लड़की गोबर डालने जा रही थी। रास्ते में युवक उसे पकड़कर अपने घर ले गया और कमरे में बंद कर लिया था। पड़ोसी महिला ने पीड़िता की दादी को पूरी घटना बताई। युवक के कब्जे से मुक्त होने पर पीड़िता ने उसपर पहले भी कई बार दुष्कर्म करने व घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। शिकायतकर्ता माता ने आरोपित जयपाल निवासी ग्राम खाला टीरा सिडकुल के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने जयपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने मामले की विवेचना के बाद आरोपी युवक के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। शासकीय अधिवक्ता ने सरकार की ओर से 10 गवाह पेश किए।
एफटीएससी कोर्ट ने स्थानीय जिलाधिकारी को पीड़ित नाबालिग लड़की को बतौर प्रतिकर राशि दिलाने के आदेश भी दिए हैं। साथ ही, निर्णय की एक प्रति भेजकर पीड़िता को उचित प्रतिकर राशि दिलाने के लिए कहा हैं। वहीं, कोर्ट ने उक्त आदेश की एक प्रति एसएसपी हरिद्वार को भेजते हुए महिला दारोगा पर कार्रवाई के आदेश दिए हैँ। 15 दिन के भीतर कोर्ट को इस बारे में अवगत कराने के लिए भी कहा गया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में उल्लेख किया है कि हालांकि गवाही के समय पीड़िता की मां, दादी, चाची व पड़ोसी महिला पक्षद्रोही हो गए। लेकिन पीड़िता ने सारी आपबीती बताई थी। जो घटना की पुष्टि करती है। ऐसे में गंभीर अपराध जैसे दुराचार व पॉक्सो के मामले में भुक्तभोगी व पीड़ित साक्षी की गवाही महत्वपूर्ण है। पीड़िता की गरिमा बचाने के लिए उसकी स्वीकृति जरूरी है।