पंच👊नामा
सुल्तान, हरिद्वार: विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से पहले ही है बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने के लिए गुणा भाग का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस जहां अपने बहुमत को लेकर आश्वस्त दिख रही है, वहीं भाजपा प्रदेश की कई सीटों पर जबरदस्त भीतरघात की शिकायतों के बीच सत्ता वापसी के लिए बसपा और निर्दलीय प्रत्याशी पर टकटकी लगाए हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि सरकार बनाने के लिए लालायित भाजपा का एक गुट बसपा के जिताऊ नजर आ रहे प्रत्याशियों पर डोरे डालने में जुटा हुआ है। इतना ही नहीं ऐसे कुछ प्रत्याशियों को दिल्ली ले जाकर भाजपा के आला नेताओं से मुलाकात की चर्चाएं भी सियासी हल्कों में जोरों पर हैं।
प्रदेश में सबसे अधिक 11 विधानसभा सीटों वाले हरिद्वार जिले में बसपा अपना अच्छा खासा जनाधार रहा है। राज्य गठन के बाद चुनाव दर चुनाव भले ही इसमें गिरावट आई है, लेकिन बसपा ने कई बार ना सिर्फ सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है, बल्कि बसपा के विधायक मंत्री के रूप में भी सरकार में शामिल रहे हैं। हाल के चुनाव में बसपा प्रत्याशियों ने जिले की कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों को पसीने दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।इनमें लक्सर सीट से मोहम्मद शहजाद, खानपुर से रविन्द्र पनियाला, भगवानपुर से सुबोध राकेश और मंगलौर सीट से सरवत करीम अंसारी का नाम प्रमुख है। इन सीटों पर हार जीत का फैसला बसपा और भाजपा या कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच ही होना है। जबकि कुछ अन्य सीटों पर बसपा प्रत्याशी त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में सफल रहे हैं। इनके अलावा प्रदेश के कई सीटों पर कुछ निर्दलीय प्रत्याशी भी जिताऊ स्थिति में है।प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर हरीश रावत व प्रीतम गुट में भले खींचतान मची है, लेकिन बहुमत को लेकर किसी भी गुट में कोई संशय नहीं है। कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त है कि वह अपने विधायकों के बल पर बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल कर लेगी।जबकि भाजपा के सिपहसालार दावे बहुमत के कर रहे हैं लेकिन अंदरूनी तौर पर उनका अनुमान 30 सीटों को भी नहीं छू रहा है। इसलिए 36 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए भाजपा के सामने बसपा और निर्दलीय प्रत्याशी ही एकमात्र विकल्प है। सूत्र बताते हैं कि भाजपा के कई धुरंधर नेता हरिद्वार जिले के कई बसपा प्रत्याशियों से संपर्क कर चुके हैं। उनसे बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए डोरे डालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें अपने पाले में लाया जा सके। सूत्र यह भी बताते हैं कि बसपा के एक प्रत्याशी को राजी करने की जिम्मेदारी प्रदेश नेता ने खुद संभाली हुई है। जबकि एक दूसरे प्रत्याशी को सेट करना का काम एक कैबिनेट मंत्री को दिया गया। भाजपा के अलग-अलग गुट इन प्रत्याशियों से संपर्क साधे हुए है। जिसको लेकर कई तरह की चर्चाएं बनी हुई हैं। वहीं, बसपा के आला नेता इन सब चर्चाओं से बेखबर हैं। जानकारी लेने पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल सिंह का कहना है कि हम लोग बहुजन समाज पार्टी के सिपाही हैं, पार्टी में बहन जी का आदेश सर्वोपरि होता है। कोई भी निर्णय पार्टी अध्यक्ष की इच्छा के बगैर नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो बहुजन समाज पार्टी से गद्दारी करता है, उसका सर्वनाश हो जाता है।