हरिद्वार

सिडकुल की पैनासोनिक फैक्ट्री में हड़ताल: महिला कर्मचारियों की पीड़ा और सवालों में घिरा प्रबंधन..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पैनासोनिक लाइफ सॉल्यूशन्स कंपनी के सिडकुल स्थित प्लांट के बाहर सोमवार को कर्मचारियों की हड़ताल ने न केवल कंपनी के कामकाज को ठप कर दिया, बल्कि कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। जहां एक ओर फैक्ट्री का गेट बंद कर कर्मचारियों ने विरोध दर्ज कराया, वहीं दूसरी ओर प्रबंधन ने उन पर कानून तोड़ने और भीड़ को उकसाने के आरोप जड़ दिए।आखिर क्यों भड़के कर्मचारी…?
हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से वे काम के बढ़ते दबाव, ठेके पर रखे जाने की प्रक्रिया और वेतन संबंधी असमानताओं से जूझ रहे हैं। उन्हें न तो स्थायी नौकरी की गारंटी मिल रही है और न ही मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य बीमा, नियमित अवकाश और सुरक्षित कार्यस्थल। एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम दिन-रात काम करते हैं, लेकिन बदले में हमें स्थायित्व नहीं बल्कि अनिश्चितता मिलती है। जब हम अपनी बात रखते हैं, तो हमें ‘बाहरी तत्वों’ से जोड़ दिया जाता है।प्रबंधन का पक्ष…..
कंपनी की ओर से प्रशासनिक अधिकारी मनीष चंद्र गुप्ता की तहरीर के अनुसार, कुछ बाहरी लोगों ने कर्मचारियों को भड़काया, जिससे यूनिट-1 और यूनिट-2 के प्लांट्स में उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया। प्रबंधन का कहना है कि इस हड़ताल से न केवल कंपनी को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि उसकी छवि भी प्रभावित हुई है।कानूनी कार्रवाई और आरोपित नेता……
सिडकुल थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार, इंकलाब मजदूर यूनियन से जुड़े पंकज बवाड़ी, जयप्रकाश, गोविंद सिंह, महिपाल सिंह, अभिषेक पाल, सूरज अवस्थी, संदीप, सुनील और अरुण पर भीड़ को उकसाने और कामकाज बाधित करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।मानवता बनाम मुनाफा…..
यह पूरा घटनाक्रम एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि देश में औद्योगिक विकास की दौड़ में कहीं कर्मचारियों की गरिमा और उनके मानवीय अधिकारों की अनदेखी तो नहीं हो रही? क्या कोई भी आवाज उठाना अब सिर्फ ‘उकसावे’ की श्रेणी में रखा जाएगा..? हड़ताल के पीछे छिपी पीड़ा को समझने और समाधान खोजने की बजाय, यदि प्रबंधन केवल कानूनी कार्रवाई और दोषारोपण का रास्ता अपनाता है, तो यह संघर्ष और भी गहरा हो सकता है।जरूरत है संवाद की……
इस परिस्थिति में जरूरी है कि दोनों पक्ष खुलकर संवाद करें। एक ओर कंपनी को अपनी छवि और उत्पादन का नुकसान नहीं सहना चाहिए, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों को भी गरिमामयी और सुरक्षित कार्य परिस्थितियां मिलनी चाहिए। यह मामला सिर्फ पैनासोनिक तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे औद्योगिक क्षेत्र के लिए एक आईना है। सवाल यही है—क्या मुनाफे के आगे इंसानियत की जगह बची है?

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