एमडीडीए के भ्र्ष्ट सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के खिलाफ सुराज सेवादल ने खोला मोर्चा, बेटे के नाम से गोल्डन फारेस्ट की जमीन खरीदने का आरोप..
कई और अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल, 15 दिन में कार्रवाई न होने पर पूरे प्रदेश में शुरू होगा आंदोलन..
पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: सुराज सेवादल ने एमडीडीए में कार्यरत एक सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए एमडीडीए के उपाध्यक्ष को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि उत्तराखंड सरकार जहां पहले से ही करीब 1 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले है, वहीं भ्रष्टाचार के मामलों से आम जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एमडीडीए (मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण) में कार्यरत एक सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर पर गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन को अवैध रूप से खरीदने-बेचने और अपने परिवार के सदस्यों को शहरी विकास में लाभ पहुंचाने का आरोप है।
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सुराज सेवादल के अध्यक्ष रमेश जोशी ने बताया एमडीडीए के इस अधिकारी ने प्रतिबंधित गोल्डन फॉरेस्ट की करोड़ों रुपये मूल्य की जमीन को अपने पुत्र की कंपनी के नाम से खरीदा और बेचा। इस प्रक्रिया में सर्किल रेट करोड़ों रुपये होने के बावजूद जमीन को बेहद कम दाम में लिया गया, जिससे प्रदेश को भारी राजस्व हानि हुई। अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को शहरी विकास से जुड़े कार्यों में लगाया, जिससे उनकी भ्रष्ट गतिविधियों की जानकारी सार्वजनिक न हो सके।
उनके कार्यकाल में मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए मकान बनाना मुश्किल हो गया। आरोप है कि आम जनता को मकान निर्माण की अनुमति देने में लगातार बाधा उत्पन्न की गई, जबकि कमर्शियल बिल्डिंग, होटल, स्कूल, और अस्पताल जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स को बिना किसी रुकावट के अनुमति दी गई। आरोप लगाया गया है कि अवैध निर्माणों पर कार्रवाई के नाम पर केवल नोटिस जारी कर रिश्वतखोरी की जाती है।
इससे पहले भी इस अधिकारी की हजारों करोड़ की संपत्ति का विवरण संबंधित अधिकारियों को दिया जा चुका है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुराज सेवादल ने मुख्यमंत्री और एमडीडीए उपाध्यक्ष से मांग की है कि अधिकारी के खिलाफ तुरंत जांच कर कार्रवाई की जाए। गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन के अवैध क्रय-विक्रय की प्रक्रिया को निरस्त किया जाए।
आरोपित अधिकारी की संपत्ति की जांच की जाए और अगर यह भ्रष्टाचार से अर्जित पाई जाए, तो इसे जब्त किया जाए। उन्होंने ज्ञापन के माध्यम से सरकार को 15 दिन का समय देते हुए कहा है कि अगर न्याय नहीं मिला, तो प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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गोल्डन फॉरेस्ट जमीन का मामला क्या है…?गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनें पूर्व में विवादित रही हैं और इनकी खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध है। यह जमीनें प्रदेश की संपत्ति मानी जाती हैं, जिन्हें निजी उपयोग के लिए बेचा नहीं जा सकता। ऐसे में इस जमीन का खरीद-बिक्री होना सरकार के कानून और नियमों का सरासर उल्लंघन है।