
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: गौकशी के आरोपी को छुड़ाने के नाम पर 10 हजार रुपये वसूलने की पोल खुलने पर कथित मीडियाकर्मियों के गैंग में खलबली मच गई। खबर छपते ही आरोपी गैंग का मुख्य सरगना और सदस्य ग्रामीण के घर पहुंच गए और उसके हाथ-पांव पकड़कर ना सिर्फ रकम वापस लौटाई, बल्कि उससे शपथ पत्र भी लिया। ताकि कार्रवाई से बचा जा सके।

लेकिन यह पूरा मामला पुलिस के आला अधिकारियों के संज्ञान में है और खुफिया विभाग को इनकी जांच के निर्देश भी दे दिए गए हैं। साथ ही तहरीर लिखवाने वाले ग्रामीण पर दबाव बनाने के मामले की जांच भी की जा रही है।

इसके अलावा गैंग की वसूली के कई मामले भी सामने आए हैं। यह भी पता चला है कि तथाकथित संगठन के नाम पर फर्जी पत्रकारों की पूरी फौज इकट्ठा की गई है। जो देहात क्षेत्र में घूम-घूम कर अवैध खनन, सरकारी निर्माण कार्य और राशन डीलरों से वसूली का धंधा संगठित तरीके से कर रही है।

कथित संगठन की आड़ में वसूली का धंधा करने वाले फर्जी पत्रकारों की कुंडली खंगालने का काम भी शुरू हो गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि “ब्लैकमेलिंग करने वाले फर्जी पत्रकारों को गिरफ्तार कर लगातार जेल भेजा जा रहा है।

हाल ही में पिरान कलियर और मंगलौर कोतवाली की पुलिस ने कार्रवाई की है। सभी थाना कोतवाली प्रभारियों को इस बाबत निर्देशित कर दिया गया है।
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“आप भी हैं ब्लैकमेलरों के शिकार, तो कराएं एफआईआर…….

जनपद में फर्जी पत्रकारों का यह इकलौता गैंग नहीं है। ऐसे कई और गैंग जिले में सक्रिय हैं। जिनका पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं है, उनका काम सुबह से शाम तक सिर्फ और सिर्फ ब्लैकमेल कर धन की उगाही करना है। ऐसे गैंग से ठेकेदार, कारोबारी, किसान, राशन डीलर आदि तो पीड़ित हैं ही, यह आम व्यक्ति को भी नहीं बख्शते।

यदि आप या आपका कोई परिचित ऐसे ब्लैकमेलर गैंग का शिकार हुआ है या कोई दबाव बनाया जा रहा है तो तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें और मुकदमा दर्ज कराते हुए उन्हें जेल भिजवाएं। ताकि पत्रकारिता के क्षेत्र में फैली ऐसी गंदगी को साफ किया जा सके। एसएसपी अजय सिंह का भी कहना है कि यदि कोई फर्जी मीडियाकर्मी किसी संस्थान या संगठन की आड़ में दबाव बनाता है या वसूली करता है तो संबंधित व्यक्ति निडर होकर उसकी शिकायत पुलिस से कर सकता है।
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“अपंग खबर लिखकर निकाली भड़ास…….
वसूली कांड उजागर करने पर कथित और फर्जी पत्रकारों के गैंग को “पंच👊नामा… पर गुस्सा आना स्वाभाविक था। अपनी करतूत छुपाने के लिए गैंग ने ज्ञापन और तहरीर देने का ढोंग रचा। साथ ही बौखलाहट में एक अपंग सी खबर लिखकर अपनी भड़ास भी निकाली और निष्पक्ष पत्रकारिता पर कीचड़ उछालने का नाकाम प्रयास किया। इस खबर में ना तो सिर का पता है और न पांव का। भाषा शैली से भी पता चलता है कि तथाकथित पत्रकारों के गैंग में कितने पढ़े लिखे लोग शामिल हैं।

वहीं, सूत्रों से यह भी पता चला है कि दूसरे काम-धंधे करने वालों को गैंग में शामिल कर उनके सरगना ने वसूली का धंधा जोरों पर चलाया हुआ है। इनमें कई लोगों पर मुकदमें भी दर्ज चले आ रहे हैं। जल्दी उनका भी पर्दाफाश किया जाएगा। पूरी बेबाकी से सरकारी सिस्टम का भ्रष्टाचार उजागर करने वाला “पंच👊नामा.. पत्रकारिता के लिए कलंक बने ऐसे फर्जी पत्रकारों की आमजन से वसूली के मुद्दे पर ना तो किसी दबाव में आएगा और ना ही चुप रहेगा। जल्द ही गैंग के अन्य कारनामें भी उजागर किए जाएंगे। ताकि वसूली को अपना उद्देश्य बनाकर पत्रकारिता पर धब्बा लगाने वालों पर कार्रवाई हो और आमजन को इनके आतंक से निजात मिल सके।
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