“जश्न ए ऐलान ए विलायत में गूंजा मौला अली का पैग़ाम, खानकाह चिश्तिया साबरिया में हुई रूहानी तकरीर..

पंचनामा
पिरान कलियर: खानकाह चिश्तिया साबरिया में रविवार रात को “जश्न-ए-ऐलान-ए-विलायत” के पवित्र मौके पर एक रुहानी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मुकद्दस महफिल की सरपरस्ती हाफिज इरफान साबरी ने की, जहां अकीदतमंदों की भारी भीड़ मौजूद रही। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग़दीर-ए-ख़ुम की अहमियत को उजागर करते हुए हज़रत मौला अली की विलायत का पैग़ाम आम करना था।कार्यक्रम में हाफिज इरफान साबरी ने न सिर्फ ग़दीर-ए-ख़ुम के वाक़िए को तफ़सील से बयान किया, बल्कि मौला अली की शख्सियत, उनके इल्म, बहादुरी, इंसाफ और तौहीदपरस्ती पर भी रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि मौला अली वो अज़ीम किरदार हैं, जिनके आदर्शों पर चलकर इंसान ना सिर्फ अपनी ज़िन्दगी संवार सकता है, बल्कि समाज में अमन, इंसाफ और इंसानियत की बहाली का भी पैग़ाम दे सकता है।
हाफिज इरफान साबरी ने तक़रीर के दौरान कहा— “ग़दीर-ए-ख़ुम सिर्फ एक तारीखी वाक़िया नहीं, बल्कि विलायत का ऐलान है। यह वह मुकाम है जहां रसूल-ए-पाक ﷺ ने मौला अली को ‘मौलाकुम’ कहकर दुनिया को उनका मर्तबा बताया। हमें चाहिए कि हम मौला अली के बताए रास्ते पर चलकर अपनी ज़िन्दगी को रोशन करें।
“इस मौके पर महफिल में कई नामवर शख्सियतें भी मौजूद रहीं, जिनमें मोईन साबरी, अज़ीम साबरी, इस्तकार अमन साबरी, आमिर क़ुरैशी, मेहरबान साबरी, हिफ़ाज़त साबरी, मासूम बाबा, राजा साबरी, अज़ीम पीरजी, जावेद अब्बासी, भूरा कारी बड़ेढ़ी समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल रहे। सभी ने मिलकर मौला अली की शान में नात, मनकबत और सलाम पेश किए।
कार्यक्रम का समापन दुआ और फातेहा के साथ हुआ, जिसमें मुल्क में अमन-चैन और आपसी भाईचारे की दुआ की गई। खानकाह परिसर रोशनी और अकीदत की खुशबू से महक उठा और अकीदतमंदों ने इसे अपने दिलों की ताज़गी करार दिया।