उर्स में अपने फायदे के लिए कथित सेवादार बनने की होड़, क्या इस बार भी रेवड़ी की तरह कार्ड बांटने की तैयारी..
पुलिस, प्रशासन और मीडिया के लिए मुसीबत बनती है कथित सेवादारों की फौज, कार्ड के सहारे करती है मौज..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: उर्स के दौरान वीआईपी ट्रीटमेंट पाने के लिए कथित तौर पर सेवादार का कार्ड प्राप्त करने वालों की होड़ हर साल देखी जाती है। यही वजह है कि उर्स में अधिकांश लोग गले मे सेवादार का कार्ड डालकर दरबार में या आसपास टहलते देखे जाते है। इस कार्ड के जरिए भीड़ के रश्क में भी दरगाह के अंदर आसानी से दाखिल हुआ जाता है यही वजह है कि अधिकांश लोग अपनी-अपनी सोर्स के जरिये उर्स में दरगाह से मिलने वाला सेवादार का कार्ड हासिल कर लेते है। दरअसल साबिर पाक के सालाना उर्स/मेले के मद्देनजर दरगाह कार्यालय से कुछ अकीदतमंदों को सेवादार का कार्ड दिया जाता है जो जायरीनों की सहूलियत के लिए निस्वार्थ भाव से दरगाह में ड्यूटी को अंजाम देते है।
इसी तरह पुलिस प्रशासन भी कुछ जिम्मेदारों को कार्ड देकर एसपीओ बनाती है, जो भीड़भाड़ वाले इलाकों में पुलिस प्रशासन का सहयोग करते है। लेकिन पिछले कुछ सालों से कार्ड धारकों में बेपनाह व्रद्धि हुई है। ऐसे लोग जो उर्स/मेले के दौरान दरगाह में आसानी से हाजिर होना चाहते है उन्होंने भी सेवादार का कार्ड हासिल करना शुरू कर दिया है।

इसके साथ ही बाहरी सूफी भी अपनी-अपनी संगत को सालाना उर्स/मेले का कार्ड वितरित करते है, जिससे ये जानना बेहद मुश्किल हो जाता है कि असल मे सेवादार है कौन…? उर्स/मेले में कुकुरमुत्तों की तरह उगे कार्ड धारक जहा पुलिस प्रशासन के लिए मुसीबत का सबब बनते है तो वही असल मे सेवाभाव करने वाले सेवादारों के लिए परेशानी परेशानी की वजह बनते है।
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“कार्ड की पहचान करना मुश्किल…..

उर्स/मेले में दरगाह की ओर से जारी होने वाले कार्ड पर “दरगाह साबिर पाक का सालाना उर्स (संख्या) लिखी होती है, उसी की तर्ज पर बाहरी सूफी भी सालाना उर्स/मेले का कार्ड जारी कर ये मुसीबत खड़ी कर देते है कि प्रशासन किसको ऑथराइज्ड माने या किसको क्योंकि उर्स/मेले में अधिकांश फोर्स फोर्स बाहर से आती है।
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“मीडिया के लिए भी मुसीबत……

इन कार्ड धारकों के कारण असमंजस की स्थिति पैदा होती है जिससे स्थानीय पत्रकार को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि मेला अधिकारी द्वारा स्थानीय मीडिया कर्मियों को कवरेज/वाहन पास मुहैया कराए जाते है लेकिन कार्ड धारकों की भीड़ और हर तीसरे आदमी के गले मे पड़ा कार्ड मुसीबत का सबब बनता है।
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“कार्ड का होता है दुरुपयोग……

कुछ लोग अपनी-अपनी सोर्स से कार्ड हासिल करने में कामयाबी हासिल कर लेते है और इसके बाद खूब इसका दुरुपयोग होता है। दरगाह के अंदर दाखिल होने से लेकर मेले में रौब दिखाने तक को लेकर कार्ड का गलत इस्तेमाल किया जाता है।
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“लिस्ट बनाकर ही दिए जाएंगे कार्ड…..

दरगाह प्रबंधक रजिया खान ने बताया इस बार उर्स में जारी होने वाले कार्ड, लिस्ट के मुताबिक ही दिए जाएंगे। जो लोग उर्स में सेवाभाव से खिदमत करते है उनका रिकॉर्ड बनाकर तभी कार्ड जारी होंगे, फर्जी कार्ड के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने की कोशिश की जाएगी।