
पंचनामा-ब्यूरो
हरिद्वार: थोक के भाव इनामी और वारंटी पकड़कर अपनी पीठ थपथपाने वाली हरिद्वार पुलिस के हाथ पति की हत्या में फरार एक पत्नी को गिरफ्तार करने में छोटे पड़ रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के ज्वालापुर में अप्रैल 2022 में हुए चर्चित मेहताब खान हत्याकांड की। मामला देहरादून बैठे पुलिस के आला अधिकारियों तक के संज्ञान में हैं, बावजूद इसके आरोपी आरजू अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर है। हैरानी की बात यह है कि पहले गैर जमानती वारंट, फिर कुर्की के लिए मुनादी और फिर इनाम घोषित होने के बावजूद अचानक पुलिस की जांच ठिठक गई है। सूत्र तो यहां तक बता रहे हैं कि गुपचुप इनाम भी हटा लिया गया है, इसके पीछे एक मोटे खेल की चर्चाएं भी बनी हुई हैं।
फरार आरोपी आरजू का पिता सीना तानकर जिस तरह जिला पुलिस मुख्यालय रोशनाबाद के इर्द-गिर्द घूमता हुआ देखा जाता है, उससे इन चर्चाओं पर मुहर लगती नजर आ रही है। साथ ही पिछले कुछ महीनों में अपनी “दबंगता के झंडे गाड़ने वाली हरिद्वार पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं, देहरादून से एक स्पेशल टीम के हरिद्वार आकर आरोपी तक पहुंचने और फिर अचानक उल्टे पांव लौटने की कहानी भी चर्चाओं में तैर रही है।
इकलौते बेटे को खो चुकी एक विधवा मां और दो लाचार बहनों की आंखें इंसाफ के इंतजार में पथराई जा रही हैं, स्थानीय लोगों में भी पुलिस की हीला हवाली को लेकर आक्रोश बना हुआ है। पीड़ित परिवार व स्थानीय लोग अब यह मामला सीधे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दरबार ले जाने की तैयारी में है।
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शुरू से कानून का मखौल उड़ा रहा आरोपी पक्ष….
हत्याकांड में शुरुआत से ही आरोपी पक्ष ने कानून का खिलौना ही बना कर रख दिया। पुलिस की तरफ से जब भी गिरफ्तारी का दबाव बनता है, तभी फरार आरोपी आरजू का पिता चंद अधिकारियों से अपनी जान पहचान और जी हुजूरी के बल पर जांच ट्रांसफर करा देता है। आरोपी के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गैर जमानती वारंट, मुनादी और इनाम घोषित करने के बाद जांच दोबारा कनखल थाने से ट्रांसफर कर पुलिस कार्यालय में तैनात इंस्पेक्टर बीएल भारती को दे दी गई।
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ये था पूरा घटनाक्रम……
ज्वालापुर की मोहल्ला कैथवाडा बकरा मार्केट निवासी मेहताब खान की शादी 25 नवंबर 2021 को आरजू पुत्री इस्लाम मूलनिवासी लंढौरा हाल निवासी सत्ती मोहल्ला रुड़की के साथ हुई थी। बीते रमजान माह में 29 अप्रैल की रात मेहताब और उसकी पत्नी आरजू अपने कमरे में सोने चले गए। सुबह मेहताब की मां रुखसाना ने उसे सहरी खाने के लिए जगाने का प्रयास किया तो आरजू ने यह कहकर उन्हें लौटा दिया कि पति की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए वह रोजा नहीं रख सकते।

सुबह लगभग 9:00 बजे एक बार फिर रुखसाना बेगम ने अपने बेटे को जगाने का प्रयास किया, तब भी आरजू ने उसके सोने का बहाना बनाया। अनहोनी की आशंका पर जब पड़ोसियों ने मिलकर दरवाजा खुलवाया तो मेहताब जमीन पर अचेत पड़ा हुआ था। भूमानंद अस्पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया। इस मामले में आरजू पर मेहताब की हत्या का आरोप लगाते हुए रुखसाना बेगम की ओर से ज्वालापुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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10 माह में चार मर्तबा बदली जांच….
ज्वालापुर कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने पर मामले की जांच उपनिरीक्षक शेख सद्दाम हुसैन को सौंपी गई, लेकिन चंद दिनों बाद ही आरजू के पिता इस्लाम ने प्रार्थना पत्र देकर जांच कनखल ट्रांसफर करा दी। यहां कनखल थाने के एसएसआई अभिनव शर्मा ने छानबीन करते हुए आरजू की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से गैर जमानती वारंट लिए, कई बार दबिश देने के बाद भी वह हाथ नहीं आई। जिस पर उसकी गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया।

इसके बावजूद आरजू को उसके मायके वालों ने छिपाए रखा और पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई के लिए सीआरपीसी की धारा 82 के तहत नोटिस तामील कराया। इससे पहले की कुर्की की कार्रवाई होती, आरजू के पिता ने चंद अधिकारियों में अपनी सांठगांठ का सबूत देते हुए जांच कनखल से रानीपुर कोतवाली ट्रांसफर करा दी।

नए पुलिस कप्तान अजय सिंह के आने पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए जांच को फिर से कनखल भेज दी, लेकिन देहरादून से आए एक फोन के बाद अचानक से जांच कनखल थाने से दोबारा ट्रांसफर हो गई। 10 महीने में 4 मर्तबा जांच बदली, जिनमें तीन बार आरोपी पक्ष के कहने से जांच ट्रांसफर हुई है। अदला-बदली का यह खेल ही अपने आप में बड़ी कहानी कह रहा है।