
पंच👊नामा-ब्यूरो
रिश्तों को तार-तार करने वाली सभी घटनाएं एक जैसी नहीं होती। उनके पीछे की हकीकत देर से ही सही, लेकिन सामने जरूर आती है। ऋषिकेश में एक लड़की ने अपने दोस्त को बचाने के लिए सगे पिता पर ही दुष्कर्म का आरोप लगाया था। दो साल बाद कोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। जिसके बाद कोर्ट ने इस कलंक से पिता को बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना कि पीड़िता ने अपने पिता से नफरत के चलते यह आरोप लगाया था। विशेष जज पॉक्सो मीना देऊपा की कोर्ट ने पिता को संदेह का लाभ देते हुए ससम्मान रिहा कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि अपनी ही बेटी से दुष्कर्म का आरोप लगने पर पिता को जो शर्मिंदगी झेलनी पड़ी और अपने परिवार व समाज में जिस अपमान का सामना करना पड़ा, क्या उसे वह मिल पाएगा।खबरों के अनुसार, कहानी कुछ यूं है कि ऋषिकेश कोतवाली में जुलाई 2020 को मुकदमा दर्ज हुआ था। बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी ने बताया कि शुरुआत में पीड़िता के पिता ने दो युवकों के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि इन युवकों ने नशीला पदार्थ खिलाकर उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल और फिर मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज कराए। इस दौरान वह अपने मौखिक बयानों से पलट गई। उसने आरोपियों में से एक युवक को अपना दोस्त बताया। पीड़िता ने बताया था कि वह उससे शादी करना चाहती है। साथ ही पीड़िता ने अपने पिता पर आरोप लगाया कि वह उससे कई महीनों से दुष्कर्म करता आ रहा है। इसके बाद अब वह इन युवकों को फंसाने की बात कर रहा था। इन बयानों के बाद पुलिस ने पीड़िता के पिता को ही दुष्कर्म का आरोपी मानते हुए न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल में अभियोजन ने सात गवाह पेश किए। वहीं, जिस युवक के खिलाफ पीड़िता के पिता ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था, उससे वह शादी कर चुकी है। हैरानी की बात यह है कि शादी भी उसने कोर्ट के ट्रायल के दौरान ही की। बचाव पक्ष के मुताबिक हाल में युवती अपने पति के साथ रह रही है। कोर्ट से इंसाफ मिलने से लड़की के पिता को राहत जरूर मिली है, लेकिन उन्हें अपनी बेटी से अपमान का जो जख्म मिला है, वह शायद ही कभी भर पाए। यह मामला ऋषिकेश व देहरादून क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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