
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: गंगा दशहरा स्नान पर्व पर भारी भीड़ के बीच पहले तो मेरठ के यात्री परिवार ने हाईवे पर गलत तरीके से गाड़ी रोकी। जाम लगने पर पुलिस ने कार्रवाई की तो अपनी गलती मानने के बजाय तू तड़ाक करते हुए दबंगई पर उतारू हो गए। इस पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सामने आया है। जिसमें हाईवे पर गाड़ी रोकने के बारे में पूछने पर मेरठ का यात्री खुलेआम दारोगा रविन्द्र जोशी के साथ अभद्रता करते हुए सुनाई पड़ रहा है। इतना ही नहीं, वह साफ तौर पर धमकी देता हुआ दिखाई दे रहा है कि “तेरे पे जो बिगड़ता है, बिगाड़ ले।
यात्री की भाषा किसी भी एंगल से श्रद्धालु वाली नहीं लग रही है। उसकी भाषा शैली और बेलगाम अंदाज पुलिस तो दूर आम आदमी के लिए भी बर्दाश्त से बाहर नजर आ रही है।
सवाल इसलिए भी उठ रहा है कि देशभर से 20 लाख से अधिक श्रद्धालु पुण्य कमाने के लिए हरिद्वार पहुंचे, लेकिन इस भीड़ में मेरठ का यह यात्री बिना लाइसेंस वाली पिस्टल लेकर हरिद्वार क्यों पहुंचा। पिस्टल लेकर स्नान करने आने के पीछे क्या मकसद है..?
हरिद्वार में किसी भी स्नान पर्व की ब्रीफिंग पर अधिकारी हमेशा अधीनस्थों को यह हिदायत देते हैं कि श्रद्धालुओं के साथ नरमी और मधुरता का व्यवहार किया जाए। रविवार को गंगा दशहरा पर इस कदर भीड़ हरिद्वार पहुंची कि पुलिस को यातायात व्यवस्था सुचारु करने में दिन भर पसीना बहाना पड़ा।
ऊपर से भीषण गर्मी और नीचे यातायात की भीड़ के बावजूद ज्वालापुर में हुई घटना का वीडियो देखने पर पता चलता है कि पुलिसकर्मियों ने पहले तो रोकने-टोकने के अंदाज में यात्री से बातचीत की। लेकिन मेरठ का यात्री आपे से बाहर था।
वह अपनी गलती मानकर निवेदन के लहजे में अपनी बात रखना तो शायद पुलिस उसका चालान भी ना करती। मगर वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि उसने इतनी अकड़ के साथ पुलिसकर्मियों को जवाब दिया कि पुलिस को चालान काटना पड़ा।
इसके बाद तो वह खुले तौर पर गुंडई पर उतर आए और वर्दी तक हाथ पहुंचा दिया। इतना ही नहीं, कोतवाली प्रभारी रमेश तनवार के आने पर भी यात्रियों के तेवर कम नहीं हुए।
कोतवाल के सामने भी वह सड़क छाप गुंडे की भाषा में बातचीत करते हुए अपनी हठधर्मिता पर अड़ा रहा। नतीजतन पुलिस को उन्हें काबू में कर कोतवाली लाना पड़ा। निसंदेह रूप से हरिद्वार या उत्तराखंड आने वाले श्रद्धालु पुलिस व स्थानीय निवासियों के लिए अतिथि हैं।
लेकिन श्रद्धालु और यात्रियों को भी अतिथि जैसा व्यवहार करना चाहिए। इस मामले में पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र डोबाल का कहना है कि कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है।

पुलिसकर्मी भरी गर्मी के बीच यातायात व्यवस्था सुचारु कराने में लगे हैं। कोई व्यक्ति पहले तो यातायात व्यवस्था को बिगाड़ा है और उसके बाद पुलिस से ही मारपीट के लिए उतारू हो जाता है, ऐसे मामले में कार्रवाई होना जरूरी है।