
पंच👊नामा-ब्यूरो
सौरभ भटनागर, हरिद्वार: कुंभ और आस्था की पहचान रखने वाली धर्मनगरी हरिद्वार इन दिनों सट्टा माफियाओं की गिरफ्त में है। जिन घाटों पर भजन-कीर्तन की ध्वनि गूंजनी चाहिए, वहां अब हार-जीत की चीखें सुनाई दे रही हैं। कोतवाली और चौकियों से चंद कदम की दूरी पर झोपड़ियों में ‘कसीनो’ सज रहे हैं। शाम ढलते ही ताश की गड्डियां खुलती हैं, सट्टे के नंबर लिखे जाते हैं और रात के सन्नाटे में अपराध की खामोश रफ्तार तेज हो जाती है।
हर तरफ फैला जुए का जाल, आमजन की कमाई लूट रहे सट्टा माफिया…..
कुंभनगरी की पवित्रता को सट्टा माफिया खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। चंडीघाट चौक, पंतद्वीप, सर्वानंद घाट और ब्रह्मपुरी मार्ग पर झोपड़ियों में कसीनो जैसा माहौल बना हुआ है, जहां सुबह-शाम ताश की गड्डियां खुलती हैं और जुए-सट्टे का बाजार सजता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये अवैध अड्डे पुलिस चौकियों और कोतवाली से कुछ ही दूरी पर चल रहे हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस तमाशबीन बनी हुई है। चंडीघाट ऑटो स्टैंड के पास एक झोपड़ी में कसीनो धड़ल्ले से चल रहा है, जहां शाम ढलते ही भीड़ जुटती है।
देर रात तक सट्टे के नंबर लिखे जाते हैं और हार-जीत की चीखें सुनाई देती हैं। पंतद्वीप पार्किंग, सर्वानंद घाट और शहर कोतवाली के पीछे ब्रह्मपुरी मार्ग पर भी यही हाल है। इन झोपड़ियों में ताश के कई गेम खेले जा रहे हैं और सट्टा कारोबारी खुलेआम डेरा डाले हुए हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि स्थानीय पुलिस इस पूरे गोरखधंधे से पूरी तरह से अंजान बनी हुई है। या फिर यूं कहें, अंजान बने रहने की भूमिका में है। सवाल ये भी है कि आखिर ये चुप्पी किसके इशारे पर साधी गई है?
सूत्रों की मानें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया इन अड्डों का संचालन कर रहे हैं। चर्चा यह भी है कि पुलिस की निष्क्रियता के पीछे कुछ बड़े चेहरों की छाया है, जो इस अवैध धंधे को संरक्षण दे रहे हैं। अब सीधे प्रदेश के डीजीपी से सवाल कर रही है।
हरिद्वार पुलिस की नाक के नीचे यह धंधा पनप रहा है, लेकिन सभी चुप्पी साधे हुए है। यह बात अपने आप में हैरान कर देने वाली है। बताते है कि पश्चिमी यूपी के कई माफिया ही इस पूरे नेटवर्क को संभाल रहे है। उनकी जड़े बेहद गहरी बताई जा रही है।