“54 करोड़ के भूमि घोटाले में महज मोहरे नपे, असली गुनहगार अब भी बेनकाब..? सीएम साहब, अब तो सीबीआई जांच के आदेश दीजिए..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: नगर निगम के करोड़ों के भूमि खरीद घोटाले में अब लीपापोती का खेल शुरू हो गया है। आईएएस रणवीर सिंह चौहान की प्रारंभिक जांच के बाद नगर निगम के चार अफसरान को निलंबित करने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है। सबसे अहम सवाल यह है कि 54 करोड़ की भूमि खरीदने की जिम्मेदारी भला चार अदने अफसरान पर कैसे तय की जा सकती है। कूड़ा निस्तारण केंद्र के लिए आखिर व्यवसायिक भूमि खरीदने की आवश्यकता थी?, वो भी तब जब वहां कूड़ा ही गिरना था।
तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी की जिम्मेदारी को कैसे नजरअंदाज किया जा सकता है? आखिर भूमि खरीद बिना उनकी सहमति के तो हुई नहीं होगी। क्या उनकी आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी। सूबे को हिला कर रख देने वाले इस करोड़ों के घोटाले में नगर निगम—तहसील प्रशासन की जुगलबंदी साफ साफ दिखाई दे रही है,
आखिर जांच अधिकारी कैसे इस नजरअंदाज कर सकेंगे? हर किसी की जुबां पर यही बोल है कि करोड़ों के घोटाले में जिन आला अफसरान के हाथ रंगे हए है , क्या उनकी गर्दन नपेगी। या महज मोहरों को हलाल कर असली गुनाहगारों को बचाने की पटकथा लिखा जा चुकी है।
सीएम साहब घोटाले से उत्तराखंड की छवि राष्ट्रीय स्तर पर धूमिल हो रही है, ऐसे में पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच होना बेहद आवश्यक है