दुष्कर्म पीड़िता का बच्चा गोद देने पर कोर्ट नाराज़, पुलिस और सरकारी वकील की कार्यशैली पर सवाल..
नाबालिग से दुष्कर्म से जुड़ा है मामला, सजा होने के बाद दोनों ने की शादी, वापस मांगा बच्चा..

पंच👊नामा-ब्यूरो
उत्तराखंड डेस्क: हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी में दुष्कर्म पीड़िता के बच्चे को गोद देने के मामले में अपनाई गई प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

साथ ही इस मामले में एसपी उत्तरकाशी की ओर से कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने की बजाय दरोगा से रिपोर्ट मांगने पर सख्त टिप्पणी की है। सरकारी अधिवक्ता की कार्यशैली पर भी कोर्ट ने सवाल खड़े किए हैं।
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सीएम धामी को कार्रवाई के निर्देश….
हाईकोर्ट रजिस्ट्री को इस आदेश की प्रति सचिव विधि के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उचित कार्रवाई के लिए भेजने के आदेश भी कोर्ट ने दिए हैं। आदेश का अनुपालन एक महीने के भीतर करना तय किया गया है। उत्तरकाशी निवासी एक व्यक्ति पर नाबालिग ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप लगाया था। नाबालिग का बच्चा भी हो गया था।
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सजा होने के बाद दोनों की हुई शादी……
निचली अदालत से सजा होने के बाद अभियुक्त ने पीड़िता संग विवाह कर लिया। निचली अदालत के आदेश के विरुद्ध अपील दायर की गई थी। इसी बीच केस कम्पाउंड के लिए भी अर्जी दाखिल की गई।

उधर, बाल कल्याण समिति की ओर से बच्चे को गोद दे दिया गया। अभियुक्त के साथ विवाह के बाद पीड़िता ने बच्चा वापस मांगा। शीतकालीन अवकाश अवधि में वैकेशन जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने इस मामले में एक आदेश पारित किया था। इसमें कहा गया कि बच्चे को गोद लेने का अधिकार उत्तर प्रदेश के एक परिवार को दिया गया है।
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बच्चा वापस लेने को कानूनी सहारा….
एकलपीठ ने कहा कि नाबालिग को बच्चे को वापस लेने के लिए कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना पड़ रहा है। गोद लेने की यह प्रक्रिया और इसके कानूनी प्रभाव, इस कोर्ट के समक्ष न्यायिक जांच का विषय रहे होंगे लेकिन यह कोर्ट उस तरीके से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने सरकारी वकील के कार्यालय की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं।