हरिद्वार नगर निगम जमीन घोटाले में धामी सरकार का बड़ा एक्शन, डीएम, एसडीएम और पूर्व एमएनए सस्पेंड..
54 करोड़ में खरीदी गई थी 15 करोड़ की जमीन, आईएएस रणवीर सिंह चौहान की जांच में खुला फर्जीवाड़ा, अब विजिलेंस करेगी जांच..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार। हरिद्वार नगर निगम में जमीन खरीद घोटाले को लेकर उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, भगवानपुर के उपजिलाधिकारी जयवीर सिंह और तत्कालीन नगर नियोजन अधिकारी वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया गया है। करोड़ों रुपये के इस घोटाले की जांच अब विजिलेंस को सौंप दी गई है।
जांच में खुलासा हुआ है कि नगर निगम ने मात्र 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ रुपये में खरीदा। जमीन खरीद में गंभीर अनियमितताएं, कागजी हेराफेरी और वैधानिक प्रक्रियाओं की अनदेखी सामने आई है, जिससे सरकारी खजाने को 39 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
रणवीर सिंह चौहान की रिपोर्ट में खुला घोटाले का जाल….
आईएएस रणवीर सिंह चौहान की अगुवाई में हुई प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि वर्ष 2021 में जिस भूमि की खरीद की गई, उसकी वास्तविक बाज़ार कीमत 15 करोड़ रुपये थी, लेकिन उसे 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। दस्तावेजों की गहन जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि जमीन के स्वामित्व को लेकर फर्जीवाड़ा किया गया। कई अहम अनुमतियां और प्रक्रियाएं पूरी किए बिना ही भुगतान भी कर दिया गया।
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शासन की सख्ती से अफसरों में खलबली…..जांच रिपोर्ट सामने आते ही मुख्यमंत्री ने तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया। इसके बाद शासन ने पूरे मामले की गहराई से जांच के लिए अब विजिलेंस विभाग को जिम्मेदारी सौंपी है। विजिलेंस अब इस पूरे प्रकरण की फाइलें खंगालेगा, बैंक लेन-देन की पड़ताल करेगा और आवश्यक होने पर कानूनी कार्रवाई भी करेगा।
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लगातार बना रहा था कार्रवाई का दबाव…..इस मामले को लेकर विपक्ष शुरू से हमलावर था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस घोटाले को लेकर तीखे सवाल उठाए। वहीं सत्ता पक्ष के ही कुछ विधायक भी अंदरखाने कार्रवाई की मांग कर रहे थे। ‘सुराज सेवादल’ जैसे सामाजिक संगठनों ने देहरादून तक विरोध प्रदर्शन कर सरकार पर दबाव बनाया।
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राजनैतिक गलियारों में हलचल, विपक्ष ने घेरा…..घोटाले को लेकर विपक्ष ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि जब यह सौदा हुआ, तब राज्य में भाजपा की सरकार थी। ऐसे में केवल अधिकारियों को कठघरे में खड़ा कर सरकार खुद को जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं कर सकती। मांग उठी है कि इस पूरे प्रकरण में राजनीतिक संरक्षण की भी जांच की जाए।
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विजिलेंस करेगी जांच….सूत्रों की मानें तो विजिलेंस विभाग न सिर्फ निलंबित अधिकारियों से पूछताछ करेगा, बल्कि जमीन सौदे में शामिल बिचौलियों, लेखपालों, और संपत्ति दलालों की भी भूमिका की जांच करेगा। अधिकारियों के बैंक खातों, संपत्तियों और पारिवारिक लेन-देन पर भी नजर डाली जाएगी। जल्द ही विजिलेंस की टीम मौके का निरीक्षण कर सकती है।