
पंच👊नामा
पिरान कलियर: सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक (रह.) के सालाना उर्स में सूफ़िया सिलसिलों का अद्भुत संगम जहां लोगों को इंसानियत का पाठ पढ़ाता है तो वही भाईचारगी का संदेश देता है। तमाम सूफ़िया सिलसिलों का ये अद्भुत नज़ारा हाजिर-ए-दरबार होता है और दुनिया भर में वैचारिक स्तर पर लड़ रहे लोगो को ईश्वर एक होने और इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म होने का संदेश देता है। उर्स में कादरिया, चिश्तिया, कुतुबी, फरीदी, निज़ामी, साबरी, कलंदरी, कुद्दुसी, शम्सी, जहांगीरी, सुहरावर्दी, नक्शबंदी आदि सूफ़िया सिलसिलों के लोग पहुँचते है और फैज के इस समंदर में फैजियाब होते है। सूफ़ीसन्तो की नगरी पिरान कलियर में विश्व प्रसिद्ध दरगाह हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में होने वाले उर्स का आगाज सप्ताहभर पूर्व मेहंदी डोरी की रस्म के साथ हो गया था, उर्स में दूर-दराज से आने वाले जायरीन भी पहुँचना शुरू हो गए है। सूफ़िया सिलसिलों से जुड़े लोग भी उर्स में शामिल होने के लिए पिरान कलियर का रुख कर रहे है। चांद की 11, 12 और 13 तारीख को उर्स की मुख्य रस्म अदा की जाएगी, जिसमे तमाम अकीदतमंद लोग शामिल होंगे और फैज हासिल करेंगे। साबिर पाक के सालाना उर्स में कादरिया, चिश्तिया, कुतुबी, फरीदी, निज़ामी, साबरी, कलंदरी, कुद्दुसी, शम्सी, जहांगीरी, सुहरावर्दी, नक्शबंदी आदि सूफ़िया सिलसिलों से जुड़ी खानकाहे हाजिर-ए-दरबार होती है, सूफियों के इस संगम का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। यही वजह है कि सूफियों और वलियों की दरगाह से हर मजहब-ओ- मिल्लत के लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
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आस्था का मेला है साबिर पाक का उर्स…..
दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज़ कुद्दुसी साबरी बताते है कि सालाना उर्स में हिंदुस्तान से ही नही बल्कि विदेशों से भी सूफ़िया सिलसिलों से जुड़े लोग शामिल होते है। ये आस्था का मेला है सभी आस्थावान बड़ी अक़ीदत से हाजिर-ए-दरबार होते है और फैजियाब होते है। उन्होंने बताया उर्स की मुख्य रस्मों में शामिल होने के लिए अकीदतमंद बड़ी मुहब्बतों के साथ समय से पहले ही हाजिर हो जाते है।
——————————–खानकाही अकीदतमंद……
साबिर पाक का दरबार बड़ा दरबार है यहां आने वाले खाली हाथ नही लौटते। अजमेर शरीफ दरगाह ख़्वाजा गरीब नवाज के गद्दीनशीन सैय्यद खुशतर चिश्ती मियां, पीलीभीत दरगाह के गद्दीनशीन सैय्यद बिलाल मियां, मुंबई की खानकाह बज़्म-ए-तसल्लिया के गद्दीनशीन सुफियान बाबा आदि ने बताया साबिर पाक की दरगाह सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ है यहां आने वाला अकीदतमंद फैजियाब होकर लौटता है। साबिर पाक के उर्स में तमाम सिलसिले के लोग बड़ी आस्था अक़ीदत के साथ उर्स में शामिल होते है।