
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: ज्वालापुर में कई साल पहले सामने आए शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के मामले में आखिरकार कार्रवाई की शुरुआत हो गई है। विजिलेंस ने तत्कालीन एसडीएम व तहसीलदार समेत कई अधिकारियों और जमीन खुर्द बुद्ध कर खरीद प्राप्त करने वाले लोगों के खिलाफ देहरादून में मुकदमा दर्ज कराया है। इसका कार्रवाई से अधिकारियों और भूमाफिया समेत खेल से जुड़े लोगों में हड़कंप मचा हुआ है।

उत्तराखंड में शत्रु संपत्तियों को खुर्द करने के मामले पहले भी आते रहे हैं, लेकिन अब तक इस पर कोई खास कार्रवाई नहीं हुई है। ज्वालापुर में 10 साल से भी ज्यादा एक पुराने मामले में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कर कई लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। यह संपत्ति ज्वालापुर में ईदगाह के आसपास बताई गई है।

जिस पर ज्यादातर हिस्से में कई-कई मंजिला मकान भी बन चुके हैं। जबकि कुछ हिस्सा अभी खाली है। इस मामले में कई बड़े अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं, जिन पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी हो रही है। खबरों के मुताबिक, इस मामले में धारा 420, 467, 468, 471, 218 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ सांठ-गांठ कर षड्यंत्र के तहत सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द करने का आरोप है।
“इनको किया गया नामजद…
एफआईआर में तत्कालीन एसडीएम हरवीर सिंह, तत्कालीन हल्का लेखपाल अनिल कुमार कंबोज, तत्कालीन शासकीय अधिवक्ता सुखपाल सिंह, लेखपाल नीरज तोमर और विजेंद्र गिरी, विजेंद्र कश्यप, तत्कालीन कानूनगो श्रवण कुमार, तत्कालीन सब रजिस्ट्रार एसबी शर्मा, हरिकृष्ण शुक्ला व मायाराम जोशी, एडवोकेट पहल सिंह वर्मा, एडवोकेट सज्जाद, दस्तावेज लेखक मोहनलाल शर्मा, दस्तावेज यशपाल सिंह चौहान, एडवोकेट राजकुमार उपाध्याय, रियाज, शरीफ, शौकत वहीदा, सलीम, जुलेखा, कारी मुस्तफा, कोमल, विनोद मलिक, रेशमा, प्यारेलाल, सफदर अली और संजीदा आदि को नामजद किया गया है।
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हरिद्वार तहसील में उस दौरान तैनात रहे अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया गया है, जबकि यह खबर सामने आने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि प्रकरण में कुछ बड़े अधिकारियों का नाम होने के कारण फिलहाल विजिलेंस संभाल कर कदम आगे बढ़ा रही है।

“क्या होती है शत्रु संपत्ति…..
जिन लोगों ने चीन या पाकिस्तान की नागरिकता हासिल कर ली, वे अपने पीछे ऐसी संपत्तियां छोड़ गए जिन्हें “शत्रु संपत्ति (Enemy Property in Hindi)” के रूप में जाना जाने लगा। शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 ऐसी संपत्तियों को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया जाता है। ज्वालापुर में ऐसे कई लोगों की संपत्तियां हैं, जिनके मालिक बंटवारे व उसके बाद पाकिस्तान जा चुके हैं और इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित किया गया है। यह मामला इन्हीं संपत्तियों से जुड़ा है।