हरिद्वार नहर घोटाला: एक भ्रष्टाचार दबाने को दूसरा भ्रष्टाचार करने में जुटे अधिकारी..
शासन की जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई के बजाय लीपापोती में जुटे अधिकारी,, पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत 23.65 करोड़ में बनाई जानी थी नहर..

पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
सुल्तान, हरिद्वार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत एसटीपी से शोधित जल के पुन: सिंचाई उपयोग में लाने के लिए जगजीतपुर से रानीमाजरा तक 10 किलोमीटर िसिंचाई नहर निर्माण में घोटाले के मामला हाइकोर्ट पहुंचने के बावजूद अधिकारी लीपापोती में जुटे हुए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रतनमणि डोभाल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने चार सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन शासन की जांच रिपोर्ट पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय स्वीकृत डिजाइन के विपरीत कार्य करते हुए एक भ्रष्टाचार को दबाने के लिए दूसरा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जिससे 23.65 करोड़ की योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पर रहा है, बल्कि सीवर का शोधित जल सीधे गंगा में बहाया जा रहा है। इसपर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

“नाबार्ड योजना के तहत जगजीतपुर एसटीपी से रानीमाजरा तक सिंचाई नहर के लिए साल 2017-18 में सिंचाई खंड हरिद्वार को बजट आवंटित किया गया था। 2020 में विभाग ने निर्माण पूरा कर लिया। लेकिन टेस्टिंग से पहले ही नहर गिर गई। चूंकि निर्माण स्वीकृत डिजाईन से विपरीत किया गया था। निर्माण में भ्रष्टाचार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन करोड़ में पूरा होने वाले पाइप कार्य के लिए नौ करोड़ रुपये खर्च किए गए। उत्तरी हरिद्वार के भूपतवाला निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रतनमणि डोभाल ने आरटीआई के तहत जानकारी जुटाई तो घोटाला सामने आया। तब उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सिंचाई मंत्री आदि को भ्रष्टाचार की शिकायत की। जिस पर शासन ने दो जांच कमेटी का गठन किया था। जयपाल सिंह मुख्य अभियंता की अध्यक्षता टीम ने शिकायतकर्ता रतनमणि डोभाल को साथ लेकर स्थलीय निरीक्षण करते हुए पाया कि निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। जांच कमेटी ने संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए शासन को रिपोर्ट भेज दी थी। लेकिन करीब एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। तब शिकायकर्ताकर्ता रतनमणि डोभाल ने मजबूरी में हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जनहित याचिका में जांच में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और योजना पूरा करने की मांग की गई। ताकि ग्रामीणों को योजना का लाभ मिल सके। इस पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रमेश चंद खुल्बे की कोर्ट ने चार सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन धरातल पर स्थिति यह है कि विभाग हाइकोर्ट में जवाब दाखिल करने के लिए निर्माण को लेकर लीपापोती में जुटा हुआ है। ताकि हाइकोर्ट में यह दावा किया जा सके कि योजना का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है। इस मामले में शिकायतकर्ता रतनमणि डोभाल का कहना है कि एक भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए अधिकारी लाखों रुपये खर्च कर दूसरा भ्रष्टाचार कर रहे हैं। स्वीकृत डिजाइन के विपरीत कार्य पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। दोषी अधिकारी शासन में ऊंचे पदों पर बैठे हैं और कई अधिकारी मंत्रियों के करीबी हैं, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
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जांच के बाद डीएम ने बनाई जांच कमेटी….
हरिद्वार: 30 जुलाई को प्रेमनगर आश्रम में प्रभारी मंत्री सतपाल महाराज के जनता दरबार में शिकायतकर्ता रतनमणि डोभाल ने जोर-शोर से सिंचाई योजनाओं में भ्रष्टाचार का मामला उठाया था। इसके बाद जिलाधिकारी ने सीडीओ की अध्यक्षता में एक और जांच कमेटी बना दी। जबकि शासन की जांच कमेटी पहले ही कार्रवाई की संस्तुति कर अपनी रिपोर्ट भेज चुकी है। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि शासन की जांच पूरी होने के बाद जिलाधिकारी की ओर से जांच कराने का क्या औचित्य है।