हरिद्वार

एक शाम साबिर पाक के नाम: सूफी नाइट बनाम राजनीतिक तामझाम..

इस साल गड्ढों को पैबंद तक मयस्सर नहीं, जायरीनों से जर्मन हैंगर भी छिना, सूफी नाइट के सियासी तड़के पर सवाल, विधायक ने जताया जबानी विरोध, नही आया काम..

पंच👊नामा
पिरान कलियर: एक शाम “साबिर पाक के नाम… यूं तो हर शाम साबिर पाक के नाम है लेकिन इस नाम से एक कार्यक्रम जो उर्स/मेला शुरू होने से पूर्व ही सुर्खियों में रहा है, शुरू हो चुका है। हालांकि इससे पूर्व “सूफ़ी नाईट” नामक कार्यक्रम की चर्चाएं थी, लेकिन कार्यक्रम को “एक शाम साबिर पाक के नाम” से शुरू किया गया है, जो पिरान कलियर स्थित पार्किंग के सामने बने जर्मन हैंगर में आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम का विधिवत रूप से आगाज मंगलवार की देर शाम किया गया जिसमें भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर हरिद्वार लोकसभा सीट से भाजपा के पूर्व सांसद प्रत्याशी और पूर्व भाजपा विधायक समेत चारों धर्मों के धर्मगुरुओं ने शिरकत की। बाकायदा मोमबत्ती जलाकर शमा रोशन की गई, राष्ट्रीयगान हुआ और आदतन मजबूर राजनीतिक लोगों ने घंटो एक दूसरे के स्वागत में निकाल दिए, मेहमाने खुसूसियो को दरगाह की चादरें और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन का जिम्मा संभालने वाले ने भी अपने फर्ज को अंजाम देते हुए कार्यक्रम संयोजकों की शान में खूब कसीदे पढ़े। यहां ये बात बार-बार दोहराई गई कि ये कार्यक्रम कोई राजनीतिक कार्यक्रम नही है। हालांकि इस बात पर किसी ने गौर नही किया। इसके बाद कलाकारों ने सूफिया कलाम पढ़े, जिसका आंनद मौजूद लोगों ने लिया।
————————————–
“जो कहा करके दिखाया……
जायरीनों के लिए बनाए गए जर्मन हैंगर में अन्य कार्यक्रम होने की चर्चाओं पर स्थानीय विधायक हाजी फुरकान अहमद ने ज़बानी विरोध जताते हुए अधिकारियों से किसी भी अन्य कार्यक्रम जर्मन हैंगर में ना कराए जाने की मांग की थी, इसके साथ ही दरगाह के पैसों और जायरीनों की सहूलियत का हवाला भी दिया गया था, लेकिन साहब अपनी बात पर अटल रहे और जो कहा करके दिखा दिया। बाकायदा उसी जर्मन हैंगर में जो जायरीनों की सहूलियत के लिए बनाया गया था, उसमे भव्य कार्यक्रम आयोजित हुआ, मेला प्रभारी से लेकर वक्फबोर्ड सीईओ तक ने कार्यक्रम में हाजिरी लगाई, तो ये कहना गलत नही होगा कि माननीय विधायक महोदय का विरोध किसी काम नही आया।
—————————————
”जायरीनों के लिए जर्मन हैंगर बना था वरदान….
बीते साल उर्स/मेले में आने वाले जायरीनों के लिए “जर्मन हैंगर” किसी वरदान से कम साबित नही हुआ था, दरअसल बारिश होने के कारण जायरीनों ने सिर छिपाने के लिए जर्मन हैंगर का सहारा लिया था, इसके अलावा जो लोग गेस्ट हाउस या अन्य जगह पर कमरा लेने में सक्षम नही है उन्होंने पूरा उर्स जर्मन हैंगर के सहारे गुजारा। इस बार जर्मन हैंगर में कार्यक्रम के लिए स्टेज लगा है उसके सामने कुछ हिस्से में वीआईपी, और मेहमानों के लिए कुर्सियां लगाई जा रही है। बाकी का हिस्सा जायरीनों के लिए छोड़ा गया है। हालांकि कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जायरीन स्टेज आदि की जगह छोड़कर भी अपना ठिकाना बना रहे है।
—————————————-
“सड़को के गड्ढों को मयस्सर नही हुए पैबंद…..

फाइल फोटो

उर्स/मेला शुरू होने से पूर्व उच्चाधिकारियों ने समय से पहले तमाम व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। लेकिन विडम्बना देखिए अभी तक सड़को को पैबंद भी मयस्सर नही हुए।

फाइल फोटो

उधर जायरीनों के मनोरंजन के लिए बेहतरीन साउंड सिस्टम के साथ लाइव प्रोग्राम, जले पर नमक छिड़के के अलावा कुछ और नही। दरअसल मेहवड से पिरान कलियर के बीच कई जगहों पर सड़क गड्ढों में तब्दील है, जिनको पैबंद लगाना भी जिम्मेदारों ने जरूरी नही समझा। इन्ही गड्ढों से होते हुए जायरीन पिरान कलियर उर्स में पहुँच रहे है।
—————————————-
“सड़को का जाल बुनने वाले भी नही आए काम….

फाइल फोटो: विधायक हाजी फुरकान अहमद

विधानसभा क्षेत्र में सड़को का जाल बिछाने वाले जनप्रतिनिधि भी उर्स में आने वाले जायरीनों की राह आसान नही कर पाए। स्थानीय विधायक के नाम सड़को का निर्माण कराने में खूब गिना जाता है, लेकिन उर्स/मेले में आने वाले जायरीनों के लिए माननीय विधायक की ये उपलब्धि भी गधे के सिर से सींग की तरह गायब होती दिखाई दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Translate »
error: Content is protected !!