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विनोद आर्य और नामी विधायक ने इमलीखेड़ा में दबाई किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन..!

चकबंदी विभाग की सांठ-गांठ से हवाई चक लगवाकर किया खेल, राज्यपाल से हुई शिकायत..

पंच👊🏻नामा
नितिन गुड्डू, हरिद्वार: अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुल्कित आर्य और उसके परिवार के कारनामों से अब धीरे-धीरे पर्दा उठ रहा है।

फाइल फोटो: डा. विनोद आर्य, पूर्व दर्जाधारी

पुल्कित के पिता पूर्व दर्जाधारी डा. विनोद आर्य और एक नामी विधायक पर चकबंदी विभाग की सांठ-गांठ से किसानों की सैकड़ों बीघा जमीन खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगा है। इमलीखेड़ा गांव निवासी एक ग्रामीण ने राज्यपाल को पूरे मामले की लिखित शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की है।

इमलीखेड़ा गांव निवासी अक्षय कुमार ने राज्यपाल को शिकायत देकर बताया कि 1988 में ग्राम इमलीखेड़ा में चकबंदी सर्वे शुरू कर मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद वर्ष 2000 तक कोई भी विशेष कार्य चकबन्दी विभाग ने नहीं किया। आरोप है कि हरिद्वार के एक विधायक ने चकबंदी विभाग के अधिकारी से सांठ-गांठ कर प्रक्रिया को पुनः शुरू कराया। नियमानुसार हर 20 साल बाद नया सर्वे कर चकबंदी दोहराई जानी चाहिए। लेकिन चकबंदी विभाग ने विधायक और पूर्व दर्जाधारी विनोद आर्य के इशारे पर 20 साल पहले के सर्वे और मूल्यांकन के आधार पर चकबंदी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया।

फाइल फोटो

आरोप लगाया कि मिलीभगत से खेल रचकर सैकड़ों बीघा जमीन पर अपने बेनामी चक निर्दिष्ट कराए। उस समय रिकार्ड में मौजूद ग्राम समाज की 2700 बीघा जमीन वर्तमान में घटकर 500 से 600 बीघा रह गई है। आरोप लगाया कि विभाग और भूमाफियाओं के साथ मिलकर कानून का दुरुप्रयोग करते हुए भूमि का गबन किया गया है। सत्ता में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए गांव में ऐसा माहौल बनाया कि कोई उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं कर पाया। लोग शिकायत करते हुए डरते हैं। “पंच👊नामा… से बातचीत में शिकायतकर्ता अक्षय कुमार ने बताया कि वर्तमान में अंकिता भंडारी हत्याकांड के चलते विनोद आर्य आदि के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है, इसलिए हिम्मत जुटाकर इनकी काली करतूतों से अवगत कराने के लिए पत्राचार किया है। राज्यपाल से पूरे मामले में कार्रवाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।
—————————————-गांव में इंजीनियरिंग कॉलेज, बीच से निकला हाइवे….
शिकायतकर्ता का कहना है कि इमलीखेड़ा गांव की वर्तमान और 35-36 साल पहले की भौगोलिक स्थिति में जमीन आसमान का अंतर है। उस समय इमलीखेडा में इंजीनियरिंग कॉलेज था और न गांव के बीचों-बीच कोई हाइवे था। उस समय जो जमीने उपजाऊ थी, जिसे खादर/ सिंचित कहते हैं, उनका मूल्यांकन 90 पैसे, 100 पैसे, से लेकर 60 पैसे तक आंका गया और डांडे/असिंचित भूमि ऊंची नीची भूमि का मूल्यांकन 10 पैसे, 20 पैसे, 30 पैसे, व 40 पैसे आंका गया। लेकिन वर्तमान में जितनी भी असिंचित भूमि व ऊंची नीची भूमि है वह सब हाइवे के आस-पास के क्षेत्र में फैली हाने के कारण उसकी कीमत आसमान पर है। वहीं, सिंचित भूमि (खादर) जो की गांव के दक्षिण में है, उसकी कीमत कम है। इसी का फायदा उठाकर व बन्दोबस्त अधिकारी चकबन्दी, चकबन्दी अधिकारी, सहायक चकबन्दी अधिकारी, लेखपाल चकबन्दी के साथ साठ-गाठ कर हरिद्वार के एक विधायक और विनोद आर्य ने पूरा खेल खेला।

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