चिलचिलाती गर्मी में ज़रूरतमंद बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ले आई एडवोकेट रीमा..
नौजवान अधिवक्ता की नेक पहल, झुग्गी बस्ती के बच्चों को बांटी ठंडी फ्रूटी और बिस्किट..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: सरकारी कर्मचारियों और कोर्ट कचहरी से जुड़े अधिवक्ताओं के लिए संडे के दिन का मतलब है यानि खूब सारा आराम और एंजॉय। लेकिन जिला एवं सत्र न्यायालय रोशनाबाद हरिद्वार की नौजवान अधिवक्ता रीमा शाहिम के लिए संडे का मतलब “जरूरतमंदों की मदद और भलाई करना है। रीमा शाहिम हर संडे को ऐसा मौका ढूंढती है कि दीन दुखियों के दर्द पर मरहम लगा सकें। इस सन्डे भी एडवोकेट रीमा शाहिम ने ऐसा ही नेक कार्य किया।
चिलचिलाती धूप में बाहर निकलने पर रीमा ने एक झोपड़ी के बाहर कुछ बच्चों को खड़ा देखा और गर्मी की शिद्दत महसूस कर उनके लिए कुछ अच्छा करने का सोचा। एडवोकेट रीमा ने झटपट अपनी स्कूटी घुमाई और बच्चों के खाने पीने के लिए फ्रूटी और बिस्किट आदि लेकर पहुंची। गर्मी में ठंडी फ्रूटी और बिस्किट मिलने पर बच्चों के चेहरों पर गजब की मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने थैंक्यू या फिर धन्यवाद जैसे औपचारिक शब्दों का इस्तेमाल तो नहीं किया, पर एडवोकेट रीमा शाहिम को दिल से दुआएं ज़रूर दी। सर्दियों में गरीब बच्चों के लिए गर्म कपड़े, खाने-पीने का सामना बांटने जैसे नेक कार्य रीमा अक्सर करती है। वे बताती हैं कि गरीब और ज़रूरतमंदों के चेहरों पर मुस्कान लाकर उन्हें सुकून मिलता है। रविवार की अपनी कारगुज़ारी के बारे में रीमा बताती हैं कि रविवार ऐसा दिन है, जब हफ्ते का सारा पेंडिंग काम एक ही दिन में निपटाना पड़ता है तो क्यो के कोर्ट का उसी दिन ब्रेक होता है। कोर्ट के काम को छोड़कर थोड़ी सी लाइफ अपने और दूसरों के लिए मिलती है। इतवार के दिन मैं रानीपुर मोड़ पर अपने किसी काम से जा रही थी। गर्मी ज्यादा थी कुछ बच्चे झोपड़ी से बाहर खड़े देखे,, मन में विचार आया कि क्यों ना इनको ठंडा कुछ खाने पीने का दिया जाए। तभी स्कूटी घुमाई और सभी बच्चों के लिए फ्रूटी बिस्कीट लिए और वापस उनको देने पहुंची। ठंडी फ्रूटी और बिस्किट पाकर बच्चों के चहेरे खुशी से खिल गए और मुझे भी आंनद आ गया। उनकी माताए भी अपने बच्चो को देखकर खुश हो उठी। आप सभी से निवेदन है,आप गर्मी मे बाहर जाए अपने साथ पानी की बोतल जरूर लेकर जाए,,क्या पता किसी को पानी की जरूरत हो।