हरिद्वार

“नगर निगम जमीन घोटाले में वरुण चौधरी के करीबी विजिलेंस के राडार पर..

विजिलेंस की जांच में खुलकर सामने आ रही परतें, एक अधिकारी व एक लिपिक से जल्द हो सकती है पूछताछ..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: नगर निगम भूमि खरीद घोटाले में निलंबित नगर आयुक्त वरुण चौधरी के करीबी रहे कुछ निगमकर्मी अब विजिलेंस की रडार पर आ गए हैं। सूत्रों की मानें तो एक अधिकारी, लिपिक व अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता भले ही लिखित रूप में शामिल न रही हो, लेकिन दस्तावेज तैयार कराने, रिपोर्ट लगवाने और महत्वपूर्ण फाइलों को आगे बढ़वाने में उनकी भूमिका संदिग्ध है। सूत्र यह भी बताते हैं कि विजिलेंस बहुत जल्द ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों से पूछताछ कर सकती है।नगर निगम जमीन घोटाले में सबसे पहले क्रय समिति पर कार्रवाई हुई थी। इसमें शामिल कर्मचारियों को सस्पेंड करने के बाद पिछले दिनों जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह व तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी को भी निलंबित कर दिया गया। शासन के निर्देंश पर इस मामले की जांच अब विजिलेंस कर रही है। तीन दिन पहले भी टीम नगर निगम की पुरानी जमीन खरीद-फरोख्त से जुड़े अभिलेखों की गहन पड़ताल करने हरिद्वार पहुंची थी। कुछ लोगों से बातचीत भी की गई। सूत्र बताते हैं कि बातचीत में एक अधिकारी, लिपिक व कर्मचारियों के नाम विजिलेंस को पता चले हैं जो तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के करीबी रहे हैं। विजिलेंस को इनकी भूमिका के बारे में भी अहम जानकारियां मिली हैं। सूत्र बताते हैं कि विजिलेंस अब इनका पूरा रिकॉर्ड खंगाल रही है। किसी भी दिन टीम हरिद्वार आकर इनसे पूछताछ भी कर सकती है। सुबूत मिलने पर कई कर्मचारी कार्रवाई की जद में आने तय हैं।सूत्र बताते हैं कि विजिलेंस कुछ संदिग्ध कर्मचारियों के बैंक ट्रांजैक्शन, संपत्तियों व चल-अचल परिसंपत्तियों का भी लेखा-जोखा जुटा रही है। एक कर्मचारी की संपत्ति को लेकर पहले ही गोपनीय जांच शुरू हो चुकी है, जिसमें आय से अधिक संपत्ति के संकेत मिल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जल्द ही इन निगमकर्मियों से पूछताछ की जा सकती है। वहीं विभागीय स्तर पर भी आंतरिक जांच की रिपोर्ट शासन को भेजे जाने की तैयारी की जा रही है। नगर निगम कार्यालय में जांच एजेंसियों की लगातार गतिविधियों से कर्मचारियों में खलबली मची हुई है। घोटाले में पहले से ही निलंबित नगर आयुक्त की भूमिका को लेकर जांच तेज हो चुकी है और अब उनके करीबी माने जाने वाले निगम कर्मचारियों की फाइलें भी खुलनी शुरू हो गई हैं।

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