उत्तराखंड

पहाड़ों की रानी मसूरी, तो पहाड़ो का राजा कौन..? 

मसूरी से पहले होती है यहां बर्फबारी, ट्रैकर के लिए स्वर्ग से कम नही यहां का प्रसिद्ध ट्रैक..

पंच👊नामा-ब्यूरो
प्रवेज़ आलम, चकराता: उत्तराखंड की हसीन वादियों के यूं तो सभी दीवाने है। किसी को चोपता में स्विट्जरलैंड नजर आता, किसी को हर्षिल यूरोप जैसा लगता है, तो किसी के दिल मे पहाड़ों की रानी मसूरी का बसेरा है।

फाइल फोटो

उत्तराखंड के दिल में दो धड़कने धड़कती है, जिसे हम गढ़वाल और कुमाऊँ के नाम से जानते है। ये दोनों अपने अंदर तमाम हसीन वादियों के नजारे समेटे हुए है।

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इन्ही नजारों में से एक नजारा जो सामान्य पर्यटकों से अभी तक किसी ख़ज़ाने की तरह छिपा हुआ है। उत्तराखंड के ख़ज़ाने सिर्फ यहाँ की प्राकर्तिक खूबसूरती ही है। पर्यटक स्थल के नाम पर हम सिर्फ मसूरी और नैनीताल के बारे में ही ज्यादा जानते है, आपने अक्सर पहाड़ों की रानी का नाम सुना होगा, जिसे हम मसूरी के नाम से जानते है क्या आप जानते है पहाड़ों का राजा किसे कहते है। पंच👊नामा खबर आज आपको बताएगा कि पहाड़ों का राजा अंग्रेज किसे कहकर गए थे। जी हां हम चकराता की बात कर रहे हैं, जिसे पहाड़ों का राजा कहा जाता हैं। चकराता उत्तराखंड के देहरादून जिले के दक्षिण में समुद्र तल से 2118 की ऊँचाई पर मौजूद है। विंटर लाइन देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग मसूरी के लंढोर में पहुँचते है। यही विंटर लाइन देखने के लिए आप चकराता के फेमस चिरमिरी टॉप पहुँचकर ज्यादा अच्छे से देख सकते है। हम आपको बताते चले पहाड़ों में सूर्यदेव के समय वातावरण में एक हल्की ओरेंज कलर की मध्यम लाइन दिखाई देती है, जिसे विंटर लाइन कहते है।

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चकराता में उत्तराखंड का हाइएस्ट वॉटरफॉल्स भी स्थित है, जो टाइगर फॉल के नाम से जाना जाता है। मई-जून में सबसे ज्यादा पर्यटक कैमटीफॉल के बाद टाइगर फॉल का रुख करते है।

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जहां आप 30 से 50 रुपये प्रति व्यक्ति की फीस अदा करके टाइगर फॉल का लुत्फ उठा सकते है। यदि आप मार्च-अप्रैल में भी नवम्बर दिसंबर की सर्दी का अहसास करना चाहते है।

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तो चकराता से 19 किलोमीटर का सफर करके आप आसानी से लोखंडी स्नो’पॉइंट पहुँच सकते है, जहां हजार रुपये से लेकर 4 हजार रुपये के समान्यय से खर्चे पर आप प्रतिदिन ठहर सकते है। अक्सर रात में यहां का तापमान माईनस में चला जाता है और पानी भी बर्फ बन जाता है। मसूरी में बर्फ गिरने से पहले लोखंडी में बर्फ गिर जाती है।

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इसके अलावा ट्रैकर्स के लिए भी यहां अंग्रेजो के जमाने का एक ढाई किलोमीटर लंबा ट्रैक मौजूद है, जिसे मोइला बुधेर ट्रैक के नाम से जाना जाता है।

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लोखंडी के स्थानीय होटल कारोबारी रोहन राणा ने बताया कि देवदार और चीड़ के वर्षों से घिरी यह वैली पर्यटकों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है, यहां से गुजरने वाले लोग अक्सर यहां रुककर जरूर जाते है,

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और कैम्पिंग के लिए प्रसिद्ध कोटि कनासर रेंज भी लोखंडी में स्थित है। इसके अलावा एक हिडन ट्रैक है जिसको सरस्वती ट्रैक कहते है यहां आप रात को रुककर कैंपिंग और बॉन फायर का आनन्द भी ले सकते है।

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