बदमाशों के लिए सख्त और आमजन के लिए सुलभ “लेडी सिंघम..
जनता का यहां खैरमकदम, बदमाशों की नाक में दम..

पंच👊नामा-ब्यूरो
पौड़ी: बात हो रही है उत्तराखंड पुलिस में तैनात श्वेता चौबे की… दिलेर श्वेता की बेहतर लीडरशिप के चलते तमाम बदमाशों को जेल की हवा खानी पड़ रही है। सड़क पर जनता अब खुद को सेफ महसूस कर रही है। आम आदमी में सुरक्षा की भावना कायम करने का श्रेय एसएसपी श्वेता को जाता है। बेहतर पुलिसिंग का उदाहरण देते हुए श्वेता ने कई नामी बदमाशों को पकड़ा है।

इसके लिए समय-समय पर उत्तराखंड सरकार उनको सम्मानित भी करती रही है। एकता दिवस पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्वेता को पुरस्कृत भी किया था। इसके अलावा बेहतर लीडरशिप के लिए वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनको सम्मानित किया है। उनकी ओर से पुलिस पेंशनर्स के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर से कहा कि पुलिस पेंशनर्स हैं पुलिस का अभिन्न अंग, रहेंगे सुख-दुख के साथी। गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारियों को एक मंच पर लाना, सभी का एक परिवार के रूप में हर सुख-दुख में शामिल होना, किसी भी संकट की घड़ी में सहयोग की भावना रखना, सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारियों के निधन होने पर आश्रितों को पेंशन दिलाने में सहयोग करना एवं समय-समय पर नशा उन्मूलन आदि सामाजिक सुधार के रचनात्मक कार्यों में एक जुट होकर सहयोग करना है।
उक्त गोष्ठी में उपस्थित सेवानिवृत अधिकारी/कर्मचारी गणों का सम्मान कर आपसी परिचय एवं कुशलक्षेम पूछते हुये उनकी निजी, पारिवारिक, स्थानीय एवं विभागीय स्तर की समस्या/ सुझाव के बारे में जानकारी ली गयी, तत्पश्चात निम्न बिन्दुओं पर चर्चा की। उनके निर्देशन में जनपद के पुलिस पेंशनर्स एवं उनके आश्रितों का एक वाट्सएप ग्रुप बनाया जायेगा। उक्त वाट्सएप नम्बर पर पुलिस पेंशनर्स एवं उनके आश्रित किसी भी प्रकार की समस्या/शिकायत एवं सुझाव प्रेषित कर सकते है जिसका तत्काल संज्ञान लेकर निराकरण किया जायेगा।उन्होंने शेखर चन्द्र सुयाल, अपर पुलिस अधीक्षक कोटद्वार को नोडल अधिकारी बनाया गया है। पुलिस पेंशनर्स एवं उनके आश्रित अपनी समस्या/सुझाव मोबाईल नम्बर 9412081355 पर भी दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस एवं पुलिस पेंशनर्स एक ही परिवार के सदस्य हैं। जिनकी समस्याओं का समाधान हमारी प्राथमिकता में शामिल है। पेंशनर्स की सहूलियत के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि उन्हें किसी भी तरह की असुविधा न हो।