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आज से बदल गई कानून की सभी धाराएं, एफआईआर से लेकर सजा सुनाने तक का समय तय..

सीएम धामी ने बटन दबाकर किया शुभारंभ, पुलिस ने आमजन को समझाए नए कानून, आप भी देखें हत्या, बलात्कार, धोखाधड़ी में किन धारा में होंगे मुकदमें..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: पूरे देश में तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) आज से लागू हो गए हैं। इन कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर कोर्ट के फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार आदि वाला अधिकारियों की मौजूदगी में बटन दबाकर नए कानून का शुभारंभ किया।

इधर हरिद्वार में पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल के निर्देश पर सभी थाना कोतवाली की पुलिस ने आमजन को नए कानून से अवगत कराया।

नए कानून के तहत उत्तराखंड में पहले एफआईआर लूट के मामले में ज्वालापुर कोतवाली में दर्ज हुई। इस दौरान सीओ ज्वालापुर शांतनु पाराशर, कोतवाली प्रभारी रमेश तनवार ने एक कार्यक्रम में आम जन और स्कूली बच्चों को नए कानून की जानकारी दी। पुलिस कप्तान प्रमेन्द्र दोबाल ने देर रात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी थाना कोतवाली प्रभारी को नए कानून के तहत मुकदमे और कार्रवाई को लेकर निर्देशित किया।

फाइल फोटो: एफआईआर

तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी……
आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। नये कानून में चार्जशीट की भी टाइम लाइन तय…….
दुष्कर्म के मामले में सात दिन के भीतर पीड़िता की चिकित्सा रिपोर्ट पुलिस थाने और कोर्ट भेजी जाएगी। अभी तक लागू सीआरपीसी में इसकी कोई समय सीमा तय नहीं थी। नया कानून आने के बाद समय में पहली कटौती यहीं होगी। नये कानून में आरोपपत्र की भी टाइम लाइन तय है।

फाइल फोटो: चार्जशीट

आरोप पत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 और 90 दिन का समय तो है लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच को 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोप पत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।

फाइल फोटो: कोर्ट

पुलिस के लिए टाइमलाइन तय करने के साथ ही अदालत के लिए भी समय सीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाए इसके लिए कई काम किये गए हैं। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि अगर आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपी गुनाह स्वीकार कर लेगा तो सजा कम होगी।

फाइल फोटो: कोर्ट

ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा अभी सीआरपीसी में प्ली बार्गेनिंग के लिए कोई समय सीमा तय नहीं थी। नये कानून में केस में दस्तावेजों की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी करने की बात है। फैसला देने की भी समय सीमा तय है। ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत को 30 दिन में फैसला सुनाना होगा।

फाइल फोटो: हत्या

हत्या के लिए 302 की जगह धारा 103…….
नए कानून में अब हत्या के लिए धारा 302 की जगह 103 (1), जानलेवा हमला के लिए 307 की जगह धारा 109, दुष्कर्म के लिए धारा 376 की जगह धारा 64, चोरी के लिए 379 की जगह 303 (2) और ठगी की धारा बदल कर 316 कर दी गई है।
आईपीसी में महिला के साथ छेड़छाड़ की धारा 354 क जगह अब 74…..

काल्पनिक फोटो: महिला से छेड़छाड़

आईपीसी में महिला के साथ छेड़छाड़ की धारा 354 क जगह अब 74, किसी महिला को उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील साहित्या, वीडिया या फिल्म दिखाने की धारा 354 ए की जगह अब 75, किसी महिला को अपमानित करने के इरादे पर धारा 509 की जगह 79 हो जाएगा।
अपहरण संबंधी अपराध की धाराओं में भी बदलाव……

काल्पनिक फोटो

किसी नाबालिग का अपहरण करने या कानूनी रूप से किसी नाबालिग को अपने पास रखने पर लगने वाली धारा 363 की जगह 137 बी, किसी व्यक्ति की हत्या करने के उद्देश्य से अपहरण की धारा 364 की जगह 140 (1), किसी व्यक्ति के अपरण के बाद उसके साथ मारपीट करने, हत्या की धमकी देने की धारा 364 एक की जगह 140 (2), 10 वर्ष से कम के बालक का उसकी संपत्ति हड़पने की नीयत से अपहरण की धारा 365 की जगह 140 (3) लागू किया जाएगा। सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने पर अब 132 के तहत केस……

फाइल फोटो: सरकारी कार्य मे बाधा

भारतीय दंड संहिता में सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने पर अब धारा 353 की जगह 132 के तहत केस होगा। सरकारी कर्मचारियों या पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट में धारा 322 की जगह अब 121 (1) के तहत केस होगा।
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श्यामपुर में पुलिस ने गांव-गांव बांटे पंपलेट……श्यामपुर क्षेत्र में पुलिस ने ग्रामीणों को नये कानूनों के फायदे व घर बैठे ई-एफआईआर करने की जानकारी दी। थानाध्यक्ष नितेश शर्मा ने बताया कि BNS , BNSS, BSA से संबंधित जानकारी के पंपलेट वितरित किए गए हैं। इसके लिए SPO और चौकीदारों से गांव-गांव पंपलेट वितरित कराए जा रहे हैं।
बताया कि थाना श्यामपुर क्षेत्र के संभ्रांत व्यक्तियों,ग्राम प्रधान, वार्ड मेंबर, ग्राम चौकीदारों व लोगों के से गांव गांव जाकर संपर्क कर सभी को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम के सम्बन्ध मे जानकारी प्रदान की गयी। नये कानूनो मे हुए बदलाव से सभी को रूबरू करवाया गया और जानकारी के लिए पंपलेट आवंटित किए गए। घर बैठे ई-एफआईआर दर्ज करने को लेकर भी सभी को जागरुक किया गया।तीन नये आपराधिक क़ानून : भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही प्रारंभ होने के क्रम में ज्वालापुर कोतवाली परिसर में क्षेत्राधिकारी ज्वालापुर शांतनु पराशर प्रभारी निरीक्षक रमेश तनवार की उपस्थिति में जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिसमें क्षेत्र के जन प्रतिनिधिगण, व्यापारी वर्ग के प्रतिनिधि, महिलाओं और स्कूली छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। गोष्ठी में सभी नागरिकों को देश भर में लागू हो रहे तीनों नए कानूनों के संबंध में जानकारी दी गई, नए कानूनों में हुए बदलाव के संबंध में अवगत कराया गया। गोष्ठी में छात्र छात्राओं के सवालों का समुचित जवाब देकर उनकी जिज्ञासा को शांत किया गया। एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल ने बताया कि विपुल भारद्वाज निवासी बिजनौर की सूचना के आधार पर उत्तराखंड राज्य में भारतीय न्याय संहिता 2023 के अंतर्गत पहली एफ़आइआर दर्ज की गई। क्षेत्राधिकारी ज्वालापुर शांतनु पराशर ने पीड़ित विपुल भारद्वाज को उनकी प्रथम सूचना रिपोर्ट की प्रति प्रदान की गई।

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