
पंच👊नामा
(सुल्तान) हरिद्वार: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद पर फेरबदल के बाद हरिद्वार में भाजपा की अंदरूनी राजनीति में उलटफेर नजर आने लगा है। पांच बार के विधायक मदन कौशिक को भाजपा आगे क्या जिम्मेदारी सौंपती है, यह अलग बात है। मगर फिलहाल हरिद्वार में मदन विरोधी खेमा खुद को और मजबूत महसूस कर रहा है।

शनिवार को मदन विरोधी गुट के नेताओं ने जमकर खुशियां मनाई। लेकिन , कमाल की बात यह है कि यह बदलाव मदन विरोधी खेमे यानि निशंक गुट के लिए भी राहत देने वाला नहीं है। कौशिक गुट में चर्चाएं होने लगी हैं कि प्रदेश की राजनीति से किनारा करने के बाद मदन अब हरिद्वार लोकसभा सीट पर दावा ठोकेंगे। यदि ऐसा होता है तो अगले लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए निशंक और कौशिक आमने-सामने होंगे।

पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि इसी स्थिति को भांपते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आने वाले दिनों में हरिद्वार में और ज्यादा सक्रियता बढ़ाने का मन बना लिया है।
हरिद्वार में भाजपा मुख्य तौर पर दो गुटों में बंटी हुई है। एक गुट की कमान मदन कौशिक और दूसरे गुट के मुखिया सांसद रमेश पोखरियाल निशंक माने जाते हैं। हरिद्वार शहरी क्षेत्र में हमेशा से ही मदन कौशिक गुट हावी रहा है। देहात में भले ही निशंक गुट का पलड़ा भारी रहा है। दरअसल, हरिद्वार में पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से लेकर जिले में पार्टी के विधायक भी इन दोनों धड़ों में बंटे नजर आते हैं।

हाल के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, लक्सर के पूर्व विधायक संजय गुप्ता व सुरेश राठौर ने मदन कौशिक के खिलाफ न सिर्फ मोर्चा खोला, बल्कि पार्टी फोरम पर शिकायत भी दर्ज कराई। अपनी सीट से पांचवीं बार चुनाव जीतने और प्रदेश में दोबारा सरकार बनवाने के बावजूद कैबिनेट में जगह न मिलने के पीछे यही विरोध बड़ा कारण रहा। पहले कैबिनेट से छुट्टी और अब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी फिसलने से मदन विरोधी खेमा गदगद है। वहीं, मदन कौशिक खेमा दूसरे गुट के आगे हार मानने के लिए तैयार नहीं है। दावे किए जा रहे हैं कि हाइकमान जल्द ही मदन कौशिक को कैबिनेट या संगठन में राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी सौंपेगा। साथ ही अगला लोकसभा चुनाव लड़ने का दावा भी किया जा रहा है।

यदि ऐसा है तो हरिद्वार सीट पर निशंक की दावेदारी पर ग्रहण लग सकता है, निशंक से भलीभांति परिचित हैं और बताया जा रहा है कि वह आने वाले दिनों में हरिद्वार में ही डेरा डालने वाले हैं। बहरहाल, देखने वाली बात यह होगी कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर फेरबदल के बाद अब हरिद्वार जनपद, प्रदेश और लोकसभा क्षेत्र की राजनीति में क्या बदलाव लाएगी।