मावे में मिलावट के अभियुक्त को अदालत ने किया दोषमुक्त..
निचली अदालत ने सुनाई थी छह माह की सजा, तेज-तर्रार अधिवक्ता सलमान अहमद की दलीलों पर कोर्ट ने सुनाया फैसला..

पंच👊🏻नामा-ब्यूरो
विकास कुमार, हरिद्वार: मिलावटखोरी के आरोप में निचली अदालत से छह माह की सजा पाने वाले अभियुक्त को न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने बरी कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान अहमद ने आरोपी की पैरवी करते हुए मजबूत दलीलें पेश की। जिन पर गौर करने के बाद न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए अभियुक्त को दोषमुक्त कर दिया।

मामला वर्ष 2009 का है। उस समय जिले में खाद्य निरीक्षक रहे दिलीप कुमार जैन ने 13 नवंबर 2009 काे धनौरी में चेकिंग करते हुए एक व्यक्ति को रोका और मावे के सैंपल लिए। मिलावट की आशंका पर सैंपल को जांच के लिए सोलन हिमाचल प्रदेश भेजा गया था। दिलीप जैन का कहना था कि आरोपी ने अपना नाम लियाकत पुत्र नानू निवासी हजारा थाना रानीपुर कोतवाली बताया था, जबकि गांव में जानकारी लेने पर उसका नाम इनाम उर्फ इनामू सामने आया।

न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हरिद्वार की अदालत ने 31 अगस्त 2019 को इनामू को दोषसिद्ध करते हुए छः माह कारावास और एक हजार रुपये अर्थदण्ड से दंडित किया था। सत्र न्यायालय में अपील करने पर इनामू की ओर अधिवक्ता सलमान अहमद खान ने तर्क दिया कि जिस व्यक्ति से नमूना लिया गया है, वह व्यक्ति अपीलार्थी यानि इनाम उर्फ इनामू था या फिर लियाकत था।

यह साबित करने के लिए अभियाेजन ने कोई हस्ताक्षर मिलान नहीं कराया। जिस बाइक पर इनामू को सवार होना बताया गया है कि वह भी उसकी इनामू की नहीं है। साथ ही 28 मिनट में नमूने की कार्यवाही नहीं हो सकती है।

यह भी तर्क दिया गया है कि पब्लिक एनालेसिस्ट की रिपोर्ट में फैट की मात्र कुछ ही कम पाई गई है, जो प्राकृतिक कारणों से भी हो सकती है। भैंस या गाय के दूध में फैट की मात्रा अलग-अलग होती है। जो प्राकृतिक व अन्य ऐसे कारण हो सकते हैं, जो मनुष्य के नियंत्रण से बाहर है। इनके अलावा कई और तकनीकी और व्यहवारिक पक्ष भी न्यायालय के सामने रखे। तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश रितेश श्रीवास्तव की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इनाम उर्फ इनामू को दोषमुक्त कर दिया।