देहरादून

“पहाड़ की बेटी को मिला इंसाफ, तीनो अपराधियों को उम्रकैद, सीएम धामी की संवेदनशील प्रशासनिक शैली की देशभर में सराहना..

पंच👊नामा-ब्यूरो
देहरादून: उत्तराखंड की बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में 32 महीने बाद आए फैसले ने न केवल एक मासूम बेटी को न्याय दिलाया, बल्कि प्रदेश की न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की एक नई मिसाल भी कायम की। उम्रकैद की सजा पाकर दोषियों को अब अपने गुनाहों की सज़ा भुगतनी होगी। इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे एक मजबूत, संवेदनशील और निष्पक्ष नेतृत्व खड़ा था—मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी।यह मामला केवल एक बेटी के साथ हुई दरिंदगी का नहीं था, बल्कि पूरी उत्तराखंड की आत्मा को झकझोर देने वाला था। लेकिन सरकार ने इसे सामान्य प्रशासनिक कार्यवाही की तरह नहीं, बल्कि एक सामाजिक-नैतिक जिम्मेदारी के रूप में लिया। घटना के 24 घंटे के भीतर आरोपियों की गिरफ्तारी, SIT का गठन, तेज़ और पारदर्शी जांच, गैंगस्टर एक्ट की धाराएं, और 500 पन्नों की चार्जशीट—इन सभी ने साफ कर दिया कि इस बार सरकार न्याय के लिए गंभीर थी।मुख्यमंत्री धामी की संवेदनशीलता: निर्णय नहीं, संकल्प था….
मुख्यमंत्री धामी ने न केवल तत्काल कार्रवाई की, बल्कि पीड़ित परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर खड़े रहे। 25 लाख की आर्थिक सहायता, पीड़ित के भाई और पिता को सरकारी नौकरी, और तीन बार वकील बदलकर मजबूत पैरवी सुनिश्चित करना—इन सभी ने इस बात को सिद्ध किया कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक मानवीय संकल्प था।जमानत याचिकाओं की लगातार खारिजी: न्याय की दृढ़ता….
सरकारी वकील की दमदार पैरवी की वजह से आरोपियों की जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज होती रहीं। कोर्ट में की गई गहन और सशक्त दलीलों ने यह सिद्ध किया कि जब सरकार खुद पीड़ित की तरह सोचती है, तब अपराधी किसी भी कोने में छिप नहीं सकता।“न्याय में देरी नहीं होगी, अपराधियों को कोई रहम नहीं मिलेगा….
मुख्यमंत्री धामी के ये शब्द अब केवल एक राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि एक साबित होती नीति के रूप में सामने आए हैं। उन्होंने जो कहा, वह करके दिखाया। यही वजह है कि आज प्रदेश के आमजन यह महसूस कर रहे हैं कि वे एक संवेदनशील और दृढ़ नेतृत्व के अंतर्गत सुरक्षित हैं।नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत….
उत्तराखंड में यह फैसला केवल एक केस का अंत नहीं, बल्कि प्रशासनिक संस्कृति की एक नई शुरुआत है—जहाँ न्याय समय पर हो, पीड़ित अकेला न हो, और सरकार केवल सत्ता नहीं, सेवा का प्रतीक बने। मुख्यमंत्री धामी की कार्यशैली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनके शासन में न अपराधी बच सकता है, न पीड़ित छूट सकता है।

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