
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: दिल्ली निवासी अभय शर्मा उर्फ हनी को कत्ल करने के लिए उसके दोस्त नीरज शुक्ला और नागेंद्र ने हरिद्वार पहुंचने से पहले ही जगह ढूंढ ली थी। नीरज से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल ने नीरज को रिमांड पर लेकर क्राइम सीन दोहराने और फरार नागेंद्र की गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं। असंभव लग रहे पूरी तरह ब्लाइंड केस की गुत्थी सुलझाने वाली पुलिस टीम को शाबाशी और इनाम देने के साथ ही इस केस को “बेस्ट इन्वेस्टिगेशन अवार्ड” के लिए पीएचक्यू भेजने का निर्णय भी पुलिस कप्तान ने अधीनस्थों के साथ मिलकर लिया है।
एसपी सिटी पंकज गैरोला ने बताया कि नीरज और नागेंद्र अलग-अलग दो बाइकों पर पहले अभय को नैनीताल ले गए थे। वहां से हरिद्वार लौटने के दौरान वह रास्ते में अभय की हत्या के लिए सुरक्षित जगह तलाश करते रहे। श्यामपुर क्षेत्र से गुजरने पर उन्होंने हरिद्वार पहुंचने से पहले ही रवासन नदी को मर्डर की जगह चुन लिया था।
बरसाती नदी की जगह यदि नीरज और नागेंद्र ने अभय की हत्या कर उसका शव गंगा में फेंक दिया होता तो शायद ना कभी अभय शर्मा का पता चलता है और ना कभी कत्ल का राज सामने आ पाता। लेकिन ईश्वर का न्याय सर्वोपरि होता है,
यूं कहा जाए कि दोस्त के कत्ल की कालिख अपने चेहरे पर पोतने वाले नीरज और नागेंद्र की असलियत ईश्वर को ही दुनिया के सामने लानी थी, इसलिए उन्होंने कत्ल के लिए रवासन नदी को चुना।
दोनों को लग रहा था कि रात में हत्या के बाद सुबह तक कोई जंगली जानवर शव को खा जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अगली सुबह ग्रामीणों ने शव पड़ा देख पुलिस को सूचना दे दी।
नैनीताल से हरिद्वार पहुंचने के बाद नीरज, नागेंद्र व अभय को लेकर मध्य हरिद्वार के एक होटल में ठहरे। शराब पीने के बाद तांत्रिक से मिलने का बहाना बनाकर अभय को श्यामपुर की तरफ ले गए।
मोबाइल से तांत्रिक के नाराज होने का बहाना बनाकर उन्होंने अपने-अपने मोबाइल होटल के कमरे में ही छोड़ दिए। ताकि लोकेशन ट्रैस न हो। हत्या के बाद नीरज और नागेंद्र श्यामपुर से हरिद्वार पहुंचे और होटल में बुक कमरे के बजाय रेलवे रोड पर दूसरे होटल में कमरा लेकर रात बिताई।
अगली सुबह पहले होटल में पहुंचकर अभय के मोबाइल को तोड़कर फेंक दिया और उसका सिम दूसरे मोबाइल में डालकर ट्रांजेक्शन में इस्तेमाल करते रहे।
—————————————-सीओ सिटी जूही मनराल ने बताया कि आरोपी पूरी तरह आश्वस्त थे कि हत्या का राज खुलना तो दूर अभय की शिनाख्त तक नहीं हो पाएगी। इसलिए बेफिक्र होकर न सिर्फ उसका एटीएम इस्तेमाल कर नकदी निकालते रहे, बल्कि यूपीआई से भी ट्रांजेक्शन करते हुए खुलेआम घूमते रहे।
दोनों के बीच तय हुआ कि पहले एटीएम नीरज के पास रहेगा और वह 10 लाख रुपये निकालेगा। इसके बाद एटीएम नागेंद्र को देगा, तब वह अपने हिस्से के 10 लाख निकालेगा। आरोपित 14 लाख रुपये निकाल चुके थे, बाकी रकम निकालने से पहले ही पुलिस ने नीरज को धर लिया और खाते में मौजूद रकम को फ्रीज करा दिया।
केस की गुत्थी खोलने के लिए श्यामपुर पुलिस ने जिस हद तक जद्दोजहद की है, उसी जिद ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। एक हजार से ज्यादा बाहरी लोगों का सत्यापन, घटना की रात हरिद्वार-नजीबाबाद हाईवे पर सक्रिय रहे 10 हजार मोबाइल नंबर और 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरों
की फुटेज खंगालने के दौरान आधी रात पेड़ों पर पड़ती मद्धिम रोशनी की किरणें ही पुलिस के लिए उम्मीद की किरण बनी। दरअसल, श्यामपुर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा इस केस में भी एक बार फिर पुलिस कप्तान सहित आला अधिकारियों के भरोसे पर खरे उतरे।
बादराबाद थानाध्यक्ष रहते पैथोलाजी लैब संचालक की हत्या, कनखল थानाध्यक्ष रहते अशोक चड्ढा हत्याकांड व श्यामपुर में ही चंडी देवी मंदिर मार्ग के जंगल में महिला के ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाकर नितेश शर्मा पहले भी अभी काबलियत का लोहा मनवा चुके है।
हमेशा की तरह इस केस में भी कोई सुराग पुलिस के हाथ में नहीं था। इतना ही नहीं इस बार तो शव की पहचान कराना भी टेढ़ी खीर था। मगर तेजतर्रार थानाध्यक्ष नितेश शर्मा ने इस बार भी खुद को साबित किया।