हरिद्वार

कासमपुर में कच्चे रास्ते, कीचड़ और दलदल में फंसा छात्रों का भविष्य, इनकी भी सुध लीजिए डीएम साहब..

बरसात में एक हजार से ज्यादा छात्र-छात्राओं को उठानी पड़ती है परेशानी, चिंतित रहते हैं अभिभावक, (देखें वीडियो)..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: कहते हैं शिक्षा जीवन बदल देती है, लेकिन कासमपुर के राजकीय इंटर कॉलेज तक पहुंचने वाला रास्ता बच्चों के भविष्य में रुकावट बनता जा रहा है। बरसात के दिनों में स्कूल जाने का सफर बच्चों के लिए किसी जंग से कम नहीं।

कीचड़, दलदल और गड्ढों से भरे इस रास्ते से रोजाना करीब एक हजार बच्चे गुजरते हैं। पढ़ने की ललक तो है, मगर हालात ऐसे कि बच्चों और अभिभावकों दोनों की चिंता बढ़ गई है। बच्चों के अभिभावकों ने जिलाधिकारी मयूर दीक्षित से इस समस्या की सुध लेने की गुहार लगाई है।यह कॉलेज हरिद्वार के पिछड़े और दुर्गम इलाके में स्थित है। आसपास के कई गांवों से बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। गांव के अभिभावक बताते हैं कि वे खुद अनपढ़ रह गए, लेकिन अब अपने बच्चों को पढ़ाकर कुछ बनाने का सपना देख रहे हैं। मगर खराब रास्ता उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रहा है।अभिभावक साजिद हसन कहते हैं, “हमने अपनी जिंदगी अंधेरे में गुजारी है, लेकिन बच्चों के लिए उजाला चाहते हैं। रोज कीचड़ और दलदल में गिरते-पड़ते हुए जब वे स्कूल पहुंचते हैं तो दिल रो पड़ता है।” फुरकान ने कहा, “बरसात में हालत और बिगड़ जाते हैं। जूते-चप्पल दलदल में फंस जाते हैं। कई बार बच्चे रोते हुए घर लौट आते हैं। सरकार स्कूल खोल देती है, लेकिन वहां तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं बनवाती।”बच्चों का दर्द भी कम नहीं….
छात्रा नगमा ने कहा, “अक्सर रास्ते में गिर जाते हैं, कपड़े और किताबें तक खराब हो जाती हैं। फिर भी हम रोज जाते हैं, क्योंकि पढ़ना जरूरी है। ”सहरान बोला, “बरसात में घर से निकलते वक्त डर लगता है कि आज स्कूल पहुंच भी पाएंगे या नहीं।” अब्दुल कादिर ने कहा, “शिक्षक कहते हैं पढ़ाई जरूरी है, लेकिन जब स्कूल ही सही से पहुंच न पाएं तो कैसे पढ़ें?” दाऊद और पुनित ने बताया कि हर दिन आधे घंटे से ज्यादा सिर्फ कीचड़ पार करने में लग जाता है।ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की यह जंग सिर्फ शिक्षा के लिए है। वे कोई बड़ी मांग नहीं कर रहे, बस इतना चाहते हैं कि स्कूल तक पहुंचने का रास्ता पक्का कर दिया जाए, ताकि नौनिहाल सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से शिक्षा पा सकें।जिलाधिकारी से गुहार…..
अभिभावकों और ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि इस मामले में तुरंत संज्ञान लिया जाए। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और उनका भविष्य दांव पर लगा है। बरसात का मौसम हर साल यही मुश्किलें खड़ी करता है। अगर अब भी आवाज अनसुनी की गई तो यह आने वाली पीढ़ी के साथ अन्याय होगा।

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