
कांग्रेस में टिकट के “हवाई दावेदारों की फौज, हर तीसरा नेता लगा रहा दांव…..
: धरातल पर संघर्ष के पैमाने में 90 फीसद से ज़्यादा दावेदार फेल
: कई दावेदारों को न विधानसभा के मुद्दों का पता, न जमीनी अनुभव
पंच 👊 नामा
सुल्तान:- हरिद्वार: प्रदेश में सत्ता पाने के लिए हाथ- पांव मार रही कांग्रेस में टिकट के “हवाई दावेदारों की लंबी फौज खड़ी हो गई है। ऐसा लग रहा है कि जैसे कांग्रेस में विधायक बनने की भर्ती निकली हो। हरिद्वार जिले की कई विधानसभा में तो हर तीसरा कांग्रेसी विधायकी का दावा ठोक रहा है। खास बात है कि दांव लगाने और टिकट की गोटी फिट करने में हवा-हवाई दावेदार अभी से जमीनी नेताओं को मात दे रहे हैं। विपक्ष के तौर पर जमीनी संघर्ष के पैमाने में अगर इन दावेदारों को तोला जाए तो 90 फीसद फेल हैं। इतना ही नहीं ज्यादातर दावेदारों को ना विधानसभा के मुद्दों का पता है और ना अनुभव है। हंसी की बात तो यह है कि ग्राम प्रधान और वार्ड मेंबर का चुनाव जीत पाना भी जिन के बस की बात नहीं है, वह भी आस्तीन चढ़ाएं तैयार खड़े हैं। यह तय है कि आने वाले दिनों में ऐसे अनगढ़ दावेदारों की फौज हाईकमान के माथे पर पसीना ला सकती है।
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जनपद में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा तीन पर सिमट कर रह गया था। यहां तक की तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को भी हरिद्वार ग्रामीण सीट से हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि अब जनपद में राजनीतिक समीकरण 2017 से जुदा हैं। लेकिन टिकट के लिए खम ठोकने वाले दावेदारों पर नजर डाली जाए और यह मान लिया जाए कि हाईकमान सबसे ज्यादा हो-हल्ला मचाने वालों पर दांव लगाएगा, तो यह सोचना गलत नहीं है कि 2021 में कांग्रेस की 2017 से ज्यादा दुर्गति होने वाली है। दरअसल, पार्टी के सत्ता में आने की संभावना से ऐसे कांग्रेसी नेता भी टिकट की लाइन में उठकर आ खड़े हुए हैं, जिन्होंने साढ़े 4 साल तक संघर्ष का “स भी नहीं देखा। जनता ने भाजपा को सत्ता सौंप कर कांग्रेस को विपक्ष की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन कांग्रेसी ऐसी आराम की नींद सोए कि अब चुनाव के टाइम ही आंख मलते हुए टिकट लेने चल पड़े हैं। दावेदारों की सबसे ज्यादा भीड़ “हरिद्वार ग्रामीण और ज्वालापुर विधानसभा पर है। इनमें भी अधिकांश हवाई दावेदारों को ना विधानसभा की 10 फीसद जनता जानती और ना पहचानती है। कुछ तो अपनी पंचायत और वार्ड की राजनीति छोड़ कर सीधे विधायक का कुर्ता पहनने की ठान चुके हैं।
18 सितंबर को जिले में परिवर्तन यात्रा के दौरान चुनाव संचालन समिति के मुखिया हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह आदि कांग्रेस के दिग्गज हर विधानसभा से गुजरेंगे। सिर्फ भीड़ जुटाने से ही दावेदारों का भविष्य तय नहीं होने वाला है। हाईकमान को मालूम है कि टिकट के बंटवारे में जरा भी चूक हुई तो उसे पांच साल के लिए फिर सत्ता से दूर होना पड़ सकता है। इसलिए यह तय है कि परिवर्तन यात्रा के बाद दावेदारों की छंटाई का काम शुरू होने जा रहा है।