500 साल पुराना है वन गुज्जरों का इतिहास, षड़यंत्रकारी फैला रहे भ्रम, कार्रवाई की उठी मांग..
वन गुज्जरों को घुसपैठिया बताने पर भड़के कई संगठन, वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन ने मीडिया के सामने आकर उठाई आवाज..
पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: सैकड़ों साल से जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करने के साथ-साथ वन और वन्य जीवों का सरंक्षण करने वाले वन गुज्जरों को घुसपैठिया बताने पर कई संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है। वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन ने भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए मीडिया के सामने आकर पूरी तस्वीर साफ की। अन्य तमाम संगठनों ने भी इसकी निंदा करते हुए पूरे मामले की जांच कराते हुए षड़यंत्रकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।हरिद्वार प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन के संस्थापक मीर हमजा ने कहा कि वन गुज्जरों का इतिहास 500 वर्ष पुराना है। जंगलों के संरक्षण और संवर्द्धन में वन गुज्जरों की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। जंगलों में लगने वाली आग बुझाने से लेकर पेड़ों की लोपिंग का पंरपरागत ज्ञान वन गुज्जरों को है, वन विभाग व अन्य महकमों के साथ मिलकर वह इसमें सहयोग भी करते आ रहे हैं। लेकिन कुछ लोग वन गुज्जरों को लेकर भ्रामक व तथ्यहीन प्रचार कर रहे हैं। वन गुज्जरों को घुसपैठिया बताया जा रहा है। जबकि वन गुज्जर भी देश के नागरिक हैं और सदियों से जंगलों में सह अस्तित्व के सिद्धांत पर अपना जीवना यापन करते आ रहे हैं। वनों पर निर्भर समुदाय वन गुज्जर, टोंगिया, घुमुत्तु, अर्ध घुमुत्तु, आदीवासी, वन राजी, खत्ते वासी के अधिकारों व देश की वन्य जीवन के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका को अनदेखा किया जा रहा है। मीर हमजा ने कहा कि हमारे पर्वतीय राज्य की अर्थव्यवस्था में वनाश्रित समुदायों का अहम योगदान रहा है। वन संपदा और जंगल के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राज्य के गठन के समय से सभी समुदाय के लोग शांतिपूर्वक रहते आ रहे हैं। अधिवक्ता अमित राठी ने कहा कि लोग भ्रामक खबरों के माध्यम से सामाजिक सौहार्द, सामाजिक एकता को खंडित करने का काम कर रहे हैं। अंग्रेजी शासनकाल का दस्तावेज दिखाते हुए अधिवक्ता अमित राठी ने कहा कि 1857 की क्रांति में भी वन गुज्जरों का योगदान रहा है। मुन्नी लाल टोंगिया ने कहा कि वन आश्रित समुदायों को लेकर भ्रम फैलाकर वनाधिकार कानून 2006 सहित अन्य वन सरंक्षण कानूनों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है। मीर हमजा ने रिसर्च का हवाला देते हुए यह भी कहा कि वन गुज्जर समुदाय जहां-जहां निवास करता है, वहां-वहां वनाग्नि, वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं नहीं होती हैं। बल्कि जिन इलाकों से वन गुज्जरों का पलायन हुआ है, वहां से वन्य जीव भी पलायन कर गए। जिसका कारण यह है कि वन गुज्जर जहां रहते हैं, वहां अपने मवेशियों के पीने के पानी के लिए जल स्रोतों का सरंक्षण करते हैं। जिससे वन्य जीवों को भी आसानी से पीने का पानी उपलब्ध हो जाता है। इस दौरान अध्यक्ष इमानत अली, उपाध्यक्ष नजाकत अली, सचिव शमशाद, सलाकार मुस्तफा, सुलेमान लोधा, सद्दाम, इरशाद भड़ाना, नजाकत अली, इमरान अली, मुस्तफा, अक्का, नूरशाह आलम, यासीन आदि मौजूद रहे।