धर्म-कर्महरिद्वार

सब्र का पैगाम दे रहा साबिर की नगरी का नन्हा रोज़ेदार..

10 साल की उम्र में 6 रोजा रख चुका है अरकम साबरी..

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पंच👊नामा-रमजान: गर्मी की शिद्दत और भूखा प्यासा रहकर नौनिहाल रोजे रख रहे हैं। खेलने-कूदने की उम्र में ये बच्चे रोजा रखने के साथ ही इससे जुड़े सभी नियमों का पालन भी कर रहे हैं। बच्चों में रोजा रखने को लेकर उत्साह दिखाई दे रहा है। पिरान कलियर से समाजसेवी भूरा उर्फ गोल्डन भाई के 10 साल के बेटे मौ. अरकम साबरी ने इस रमजान में अबतक छह रोजे रखकर मुकम्मल कर लिए है। बच्चें की चाहत अभी और रोजे रखने की भी है।मजहब-ए-इस्लाम में 12 साल के बच्चों पर रोजा फर्ज है, लेकिन इससे कम उम्र के बच्चे भी न केवल रोजा रख रहे हैं, बल्कि वे खास तौर से गलत बात व झूठ बोलने सहित अन्य बातों से परहेज कर रहे हैं, ताकि उनका रोजा खराब न हो। ऐसा ही एक मासूम बच्चा मौ. अरकम पुत्र गोल्डन भाई पिरान कलियर ने इस रमजान में अबतक 6 रोजे रखे है, अकरम के पिता गोल्डन भाई ने बताया बेटा अरकम पूरी फैमिली के साथ सहरी में उठकर सहरी करता है और रोजे की नियत के साथ रोजा रखता है, दिनभर दीनी तालीम के साथ नमाज़े पढ़कर खुदा की इबादत में अपना समय बिताता है, गर्मी की शिद्दत को देखते हुए बेटों को रोजा रखने से मना भी किया लेकिन उसमे रोजा रखने को लेकर खूब उत्साह है, इस रमजान के 13 रोजो में से अरकम ने छह रोजे रखे है और आगे भी रोजे रखने की जिद कर रहा है। रोजेदार मौ. अरकम ने बताया कि उसने बीते साल भी रोजा रखा था, परिवार को देखकर उसे भी रोजा रखने की हिम्मत मिलती है। रोजेदार मौ. अरकम ने बताया कि उनके माता पिता ने उन्हें बताया है कि इस्लाम में रोजा फर्ज है। खुदा का शुक्र है कि अल्लाह ने मुझे रोजा रखने की ताकत दी है।

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