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महापौर ने फैलाया रायता, समेटने में छूट रहे पसीने, अब फुरकान कूदे.…..

शिक्षानगरी में नाम की सियासत, आमजन को क्या संदेश दे रहे नेता...

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महापौर ने फैलाया रायता, समेटने में छूट रहे पसीने, अब फुरकान कूदे.…..

: शिक्षानगरी में नाम की सियासत, आमजन को क्या संदेश दे रहे नेता
पंच 👊 नामा
रुड़की: यूं तो रुड़की को शिक्षा नगरी कहा जाता है, यानी पढ़े लिखे लोगों का शहर। लेकिन पिछले 4 दिन से शहर में जो तमाशा चल रहा है, ऐसा शायद किसी गांव या कस्बे में भी नहीं होता होगा। प्रतिमा पर नाम लिखे जाने की सियासत खत्म होने के बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल से शुरू हुआ यह सिलसिला एक अनार सौ बीमार वाली कहावत तक जा पहुंचा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि महापौर गौरव गोयल ने जो “सियासी रायता” फैलाया है, अब उसे समेटना खुद गौरव गोयल लिए भी मुश्किल हो रहा है।

नई कहानी है कि अब नाम के इस विवाद में कलियर विधायक फुरकान अहमद के समर्थक भी कूद पड़े हैं। सारा विवाद देशराज कर्णवाल का नाम प्रतिमा पर तराशे जाने के बाद उस पर स्याही पोतने से शुरू हुआ। अगर विवाद से बचना था तो प्रतिमा पर सिर्फ महापौर गौरव गोयल और रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा का नाम ही लिखा जाना चाहिए था। महापौर को अगर देशराज कर्णवाल के नाम पर स्याही ही पुतवानी थी, तो खुदवाने की जरूरत क्या थी। कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद के सामने की छीछालेदर होने के बाद महापौर ने विवाद खत्म कराने के लिए प्रतिमा पर झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल के साथ-साथ खानपुर विधायक प्रणव चैंपियन का नाम भी लिखवा डाला। इससे विवाद खत्म होने के बजाय आगे बढ़ गया है। चूंकि रुड़की नगर निगम का क्षेत्र रुड़की विधानसभा से लेकर झबरेड़ा व खानपुर के साथ-साथ पिरान कलियर विधानसभा में भी आता है, इसलिए अब प्रतिमा पर नाम लिखवाने के लिए कलियर विधायक फुरकान के समर्थकों ने भी ताल ठोक दी। इतना ही नहीं फुरकान का नाम ना लिखने पर समर्थकों ने नगर निगम का घेराव करने की चेतावनी भी दे डाली है। नाम को लेकर मचे घमासान के बीच बड़ा सवाल यह कि पर्दे के पीछे से सियासत खेलने वाले विधायक और उनके समर्थक आखिरकार जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं। इस हरिद्वार की राजनीति और शिक्षा नगरी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि नाम की लड़ाई में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे की टांग खिंचाई के साथ-साथ अपने ही पार्टी के नेताओं के कपड़े फाड़ने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। काश कुछ ऐसा ही जुनून जनता के मुद्दों पर दिखाया होता तो आज इनके विधानसभा क्षेत्रों की तस्वीर कुछ अलग होती है।

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