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12 किलोमीटर पैदल चलकर बॉर्डर पर बिताई रात, माइनस छह डिग्री में जमने लगा था खून..

यूक्रेन में जंग के बीच वतन लौटे हरिद्वार के छात्र ने बताई रौंगटे खड़े करने वाली आपबीती,, यूक्रेन में हर घन्टे बदतर हो रहे हालात, रोमानिया के लोगों ने जीता दिल..

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पंच👊नामा-ब्यूरो
गोल्डन भाई: यूक्रेन पर रूस का हमला इस वक्त पूरी दुनिया में छाया हुआ है। भारत के लिए यह जंग इसलिए भी परेशानी का कारण बनी हुई है कि देश के मेडिकल छात्र अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। मीडिया में भले ही युद्ध ग्रस्त यूक्रेन के हालात पर अलग-अलग रिपोर्ट सामने आ रही हैं। असल हकीकत वहां से आने वाले छात्र खुद बयान कर रहे हैं।
आपके प्रिय समाचार पोर्टल “पंच👊नामा…✍️ की ओर से “विशेष संवाददाता “गोल्डन भाई ने वतन लौटे हरिद्वार जिले के संघीपुर गांव निवासी छात्र कुर्बान अली से बात की। मेडिकल प्रथम वर्ष के छात्र कुर्बान में यूक्रेन का आंखों देखा हाल बयान करने के साथ-साथ रास्ते की तमाम दुश्वारियों की सिलसिलेवार जानकारी हमारे साथ साझा की है।
कुर्बान अली ने बताया कि 24 फरवरी को सुबह के वक्त हमे पता चला की यूक्रेन पर रूस ने अटैक कर दिया तो हम बहुत डरे हुए थे। कुछ देर बाद हमसे लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर एयरपोर्ट है, वहां पर भी मिसाइल अटैक हुआ। जिसकी वजह से हम फ्लाइट का टिकट नहीं करा सके। उस वक्त तक टिकट का रेट भी तीन से चार गुणा बढ़ चुका था। फिर हमने अपने सीनियर से बात की, तो उन्होंने हमे अगले दिन तक इंतजार करने को कहा गया। लेकिन अगले दिन यूक्रेन के हालात और खराब हो गए। हम इवानो फरांसिक में रहते थे अगले दिन हमने वहां से निकलने का प्लान बनाया और हमारे सीनियर ने किसी तरह टैक्सी का इंतेजाम कराया और फिर हम 26 फरवरी की सुबह आठ बजे हम रोमानिया के बॉर्डर के लिए निकल गए। तब हमें ऐसा लग रहा था कि जैसे हम बॉर्डर पार कर रोमानिया से इंडिया चले जायेंगे, लेकिन बॉर्डर से करीब 12 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ था। जिसकी वजह से हम पैदल सफर करके शाम को चार बजे बॉर्डर पर पहुंच गए। बॉर्डर पर भीड़ ज्यादा होने की वजह से हम अगले दिन सुबह को आठ बजे तक भी बॉर्डर पार नहीं कर सके। उस वक्त वहां पर माइनस 6 डिग्री तापमान था।
खुले आसमान के नीचे हाड़ कंपा देने वाली ठंड में हमारा खून भी जमने लगा था। क्योंकि हमारे पास ज्यादा गर्म कपड़े भी नहीं थे और खाने पीने का सामान भी नहीं बचा था। फिर आठ बजे से चार बजे तक बॉर्डर बंद कर दिया गया था। शाम को चार बजे बॉर्डर खुलने का पता लगा तो हम दो बजे ही लाइन में लग गए थे। जिससे वहां से जल्दी निकल सके। हमने सात बजे बॉर्डर पार कर लिया और आठ बजे हम अपने पेपर वगैरह तैयार करके रोमानिया में पहुंच गए थे।
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रोमानिया पहुंचकर मिली सुकून की सांस……
बकौल कुर्बान, रोमानिया में पहुंच कर हमने देखा वहां के लोग बहुत अच्छे थे। उन्होंने हमारे खाने और रहने का इंतजाम बहुत अच्छा किया। हम वहां खाना खाकर कुछ टाइम रुककर बस से एयरपोर्ट पहुंच गए थे। फिर हमें 28,फरवरी को दस बजे की फ्लाइट से इंडिया लाया गया।
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उत्तराखंड भवन में खाया खाना…..
कुर्बान ने बताया कि हिंदुस्तान पहुंचने पर हमारा बहुत अच्छा स्वागत किया गया। फिर उत्तराखंड सरकार के प्रतिनिधि हमें अपनी गाड़ियों से उत्तराखंड भवन लेकर गए। वहां ले जाकर उन्होंने खाना खिलाया। उसके बाद हमने हरिद्वार के लिए टैक्सी की और एक मार्च को 10 बजे अपने घर संघीपुर थाना पथरी जिला हरिद्वार पहुंच गया। कई दिन और कई रात परेशानियों में गुजारने के बाद घर आकर मुकम्मल सुकून मिला।
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