पुलिस ने हिंदू युवक को मुस्लिम समझ कर लावारिस के रूप में दफ़नाया, परिजनों के हंगामा के बाद 10 दिन बाद कब्र से निकाला गया शव..
13 फरवरी से गायब था युवक, कब्रिस्तान के बाद श्मशान घाट पर हुआ अंतिम संस्कार, एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल ने बैठाई जांच, गाज गिरना तय..

पंच👊नामा
रुड़की: लापता युवक का शव मिलने के बाद पुलिस की लापरवाही से बखेड़ा हो गया। गंगनहर से बरामद हुए शव की 72 घंटे में शिनाख़्त न होने पर पुलिस ने मुस्लिम समझ कर लावारिस के तौर पर उसे कब्रिस्तान में दफना दिया।

10 दिन बाद परिजनों ने युवक की शिनाख़्त की तो हंगामा मच गया। मजिस्ट्रेट के आदेश पर युवक का शव कब्र से बाहर निकल गया और शमशान घाट ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया गया।

मामला हरिद्वार देहात क्षेत्र का है। परिजनों का आरोप है कि युवक के हाथ में धार्मिक चिन्ह बना हुआ था, इसके बावजूद उसको मुस्लिम मानकर सुपुर्द खाक कैसे कर दिया गया। मामला गुमशुदगी और शव मिलने के अलावा धार्मिक परंपराओं से जुड़ा होने के चलते पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल ने इस लापरवाही को गंभीरता से लेते हुए जांच बैठा दी है।

गलती गुमशुदगी दर्ज करने वाली सिविल लाइंस कोतवाली की पुलिस से हुई है या फिर शव मिलने के बाद उसको सुपुर्दे ख़ाक कराने वाली मंगलौर कोतवाली की पुलिस से हुई, ये तो जांच के बाद ही साफ हो पाएगा। लेकिन मामले में कई पुलिसकर्मियों पर गाज गिरना तय है।
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रुड़की की आदर्शनगर कॉलोनी निवासी शिवम शर्मा बीते 13 फरवरी को घर से गायब हो गया। परिवार वालों ने अपने स्तर से तलाश करने के बाद 15 फरवरी को सिविल लाइंस कोतवाली में उसके गुमशुदगी दर्ज कराई। पुलिस और परिजन लगातार उसकी तलाश में जुटे रहे।

इस बीच 17 फरवरी को मंगलौर कोतवाली पुलिस ने गंगनहर से एक शव बरामद किया। मंगलौर पुलिस का दावा है कि शव की शिनाख्त के लिए उसके फोटो पुलिस के व्हाट्सएप ग्रुप पर डाली गई थी। पहचान न होने पर नियमानुसार 72 घंटे बाद 21 फरवरी को पोस्टमार्टम के बाद शव को पास के ही कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
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ऐसे खुला लापरवाही का राज़……

मंगलौर क्षेत्र में शव मिलने की जानकारी मिलने पर परिजन मंगलौर कोतवाली गए। पुलिस ने शव का फोटो दिखाया तो उन्होंने टी-शर्ट पहचान। इसके बाद अस्पताल पहुंचकर जानकारी जुटा गई तो साफ हो गया कि जिस युवक को मुस्लिम समझ कर कब्रिस्तान में दफनाया गया है वह तो शिवम शर्मा था। परिवार के लिए पहले दुख तो यह कि बेटे की मौत हो चुकी थी और दूसरा यह की धार्मिक परंपरा के अनुसार उसका अंतिम संस्कार भी नहीं हो सका। इस कारण परिवार में कोहराम मच गया और अपनी गलती का पता चलने पर पुलिस में भी हड़कंप मच गया।

परिजनों ने पुलिस की घोर लापरवाही को लेकर एसएसपी प्रमेन्द्र डोबाल से शिकायत की। जिसके बाद अपर तहसीलदार दयाराम की मौजूदगी में पुलिस ने शव को कब्र से निकलवाकर उसका अंतिम संस्कार कराया। इस मामले में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने एसपी देहात स्वप्न किशोर सिंह को पूरे मामले की जांच सौंपी है।
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स्नातक का छात्र था शिवम…..

शिवम स्नातक का छात्र था। गुमशुदगी दर्ज करने के बाद परिजनों ने पोस्ट बनवाकर आसपास चस्पा किए थे। इसके बाद से ही शिवम का भाई अमित शर्मा और परिवारजन अलग-अलग थाना कोतवालियों में जाकर अपने भाई के बारे में जानकारी जुटा रहे थे।
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घोर लापरवाही के बावजूद गनीमत रही कि हिंदू युवक को मुस्लिम की तरह दफनाया गया था और 10 दिन बाद ही सही शव निकाल कर श्मशान घाट में अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन स्थिति अगर उलट होती, यानी किसी मुस्लिम युवक को हिंदू समझ कर श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया होता तो सच्चाई सामने आने पर भी अपने धर्म के अनुसार उसे सुपुर्दे खाक नामुमकिन था। इसलिए मामला बेहद संवेदनशील है और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के तेवर से साफ है कि लापरवाही जिस स्तर पर भी हुई है, कार्रवाई होना तय है।