बेलड़ा बवाल को लेकर फिर शुरू हुई भ्रम फैलाकर माहौल बिगाड़ने की राजनीति, पुलिस अलर्ट..
डेथ रिपोर्ट में दावा, लंबे समय से शराब पीने के कारण लीवर की बीमारी और पीलिया से हुई प्रमोद की मौत, पुलिस ने अफवाहों से किया सावधान..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: बेलड़ा बवाल को लेकर एक बार फिर से भ्रम फैला कर माहौल खराब करने की राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले में रुड़की जेल में बंद आरोपी की अस्पताल में मौत के बाद आरोप लगाते हुए यह दावा किया जा रहा है कि पुलिस की पिटाई के कारण उसकी मौत हुई है।

जबकि एम्स ऋषिकेश की ओर से जारी डेथ रिपोर्ट में डॉक्टरों ने यह साफ लिखा है कि प्रमोद की मौत 10 से 15 साल तक शराब पीने के कारण लीवर खराब होने और पीलिया के कारण हुई है।

सोशल मीडिया पर चल रही अफवाहों और भ्रामक पोस्ट से शांति व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका पर पुलिस अलर्ट मोड़ पर आ गई है। हरिद्वार पुलिस ने प्रमोद की डेथ पोस्ट शेयर करते हुए आमजन से अपील की है,

कि मामले की सत्यता जाने बगैर इस संबंध में किसी भी पोस्ट पर कमेंट, फॉरवर्ड और शेयर ना करें। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि अफवाह फैला कर माहौल खराब करने की कोशिश ना करें। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
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“प्रमोद को दोबारा लाया गया था एम्स…..

रुड़की जेल में बंद प्रमोद को 19 जून को एम्स में भर्ती कराते हुए उपचार कराया गया था। शरीर के सभी अंगों के सही काम करने पर 14 जुलाई को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के बाद उसे वापस रुड़की जेल भेज दिया गया था। अलग-अलग टेस्ट की रिपोर्ट में सामने आया कि लगभग 10-15 वर्षों से अत्याधिक शराब के सेवन के कारण बंदी के यकृत में समस्या बढ़ गई थी। साथ ही पीलिया भी पाया गया था।

22 जुलाई को फिर से प्रमोद को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। शनिवार की शाम उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। इस संबंध में न्यायिक जांच के लिए रुड़की कारागार अधीक्षक ने जिला जज को पत्र भी भेजा है।
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“क्या कहती है बंदी की डेथ रिपोर्ट……

डॉ तन्मय जैन और डॉ आनंद शर्मा की ओर से जारी डेथ रिपोर्ट में प्रमोद की बीमारी से लेकर उपचार और मौत के कारण तक का पूरा ब्यौरा दिया गया है। जिस का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है कि “मरीज गंभीर से पुरानी लीवर विफलता का एक ज्ञात मामला था और इस बार उसे मल में रक्त की शिकायत, 5 दिनों के लिए कई एपिसोड, ऑर्थोस्टेटिक लक्षणों से जुड़ी शिकायत के साथ पेश किया गया था। यह 5 दिनों के लिए पेट की गड़बड़ी के बिगड़ने और 5 दिनों के लिए पीलिया के बिगड़ने से जुड़ा था। दो दिनों तक रोगी की मानसिक स्थिति में भी बदलाव आया और बोलने में कठिनाई होने लगी। रोगी 15 वर्षों से शराब सेवन विकार का ज्ञात मामला था।
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“एन वक्त पर आया कार्डियक अरेस्ट……..

डेथ रिपोर्ट में अस्पताल के कोर्स की जानकारी देते हुए बताया गया है कि मरीज को आपातकालीन स्थिति में देखा गया और प्रारंभिक पुनर्जीवन के बाद रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए उसे तुरंत ऊपरी जीआई एंडोस्कोपी के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। रक्त उत्पादों की तुरंत व्यवस्था की गई। शाम 4 बजे एंडोस्कोपी शुरू की गई।

एंडोस्कोपी के दौरान मरीज का रक्तचाप कम था और इसलिए तरल पदार्थ और आयनोट्रोप दिए गए। पेट में ताजा खून देखा गया. सक्रिय रक्तस्राव वेराइसेस के कारण लगभग 1 लीटर रक्त की हानि हुई। 5 मिलीलीटर सायनोएक्रिलेट गोंद इंजेक्ट किया गया, हालांकि हेमोस्टेसिस हासिल नहीं किया जा सका।

बीपी गिरने और सेंसोरियम बिगड़ने के कारण मरीज को आयनोट्रोप्स पर शुरू किया गया और मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद मरीज को एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड गाइडेड ग्लू इंजेक्शन के लिए ले जाया गया। ईयूएस मार्गदर्शन के तहत गोंद इंजेक्ट किया गया और, हेमोस्टेसिस हासिल किया गया, लोनोट्रोपिक समर्थन जारी रखा गया।

मरीज को गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के तहत भर्ती किया गया और वार्ड में शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई। हालाँकि इस प्रक्रिया के दौरान जब मरीज आपातकालीन स्थिति में पहुंचा तो उसे अचानक कार्डियक अरेस्ट हुआ और एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत तत्काल उच्च गुणवत्ता वाला सीपीआर शुरू किया गया।

लेकिन 30 मिनट की उच्च गुणवत्ता वाली सीपीआर के बावजूद मरीज को पुनर्जीवित नहीं किया जा सका और 22 जुलाई की शाम 5.30 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया।