पंच👊नामा-ब्यूरो
केएस चौहान, हरिद्वार: “महफिल में चल रही थी मेरे कत्ल की साजिश, मैं पहुंचा तो बोले यार तेरी उम्र बहुत लंबी है”। ये लाइनें भरोसे में दगाबाजी का शिकार हुए कार्तिक पर सटीक बैठती हैं। बिजनौर के नौकरों को दोस्त की तरह रखना कार्तिक की जान पर भारी पड़ा। पुलिस की पड़ताल में सामने आया है कि शहादत और निपेंद्र दो हफ्ते पहले से ही कार्तिक के कत्ल की पूरी तैयारी कर चुके थे। खुद को भाजपा का जिला महामंत्री बताने वाले नसीम सलमानी के किरायेदार शहादत ने इसके लिए बकायदा अपनी बगल में एक और कमरा किराये पर लेकर खाली छोड़ा हुआ था। लेकिन, अफसोस देखिए, अपने कत्ल की खौफनाक साजिश से अंजान कार्तिक मौत से चंद मिनट पहले तक दोनों के साथ यारी निभाता रहा। सनसनीखेज मामले का राजफाश होने से हर कोई हैरान है, मतलब की दुनिया में आखिर किस पर भरोसा करें।
परिवार के जानकार बताते हैं कि कार्तिक दिल का साफ और मेहनती नौजवान था। इकलौता बेटा होने के बावजूद परिवार के लिए कुछ कर दिखाने के लिए उसने महज आठ महीने पहले अनिका पैथोलाजी के नाम से कलेक्शन सेंटर खोला था।
12वीं पास निपेंद्र खून के सैंपल लेने और टेक्नीशियन शहादत नमूनों की जांच का तकनीकी काम करता था। दोनों भले ही कार्तिक के सेंटर पर नौकरी करते थे, लेकिन हमउम्र होने के कारण वह मालिक और नौकर की तरह नहीं, बल्कि दोस्तों की तरह रहते थे।
कार्तिक उनकी जरूरत का पूरा ख्याल रखता। दोनों का उसके घर तक आना-जाना था। यहां तक की कार्तिक की बहन की स्कूटी भी दोनों चलाते थे। कुछ महीनों में ही कार्तिक उन दोनों पर आंख मूंदकर भरोसा करने लगा था। लेकिन, कार्तिक की अच्छी कमाई देखकर शहादत व निपेंद्र का ईमान डगमगा गया।
शहादत ने मकान मालिक भाजपा नेता नसीम सलमानी से यह कहकर एक और कमरा लिया कि उसका कोई जानकार मकान में रहेगा। दोनों यह तय कर चुके थे कार्तिक की हत्या करनी है, चूंकि फिरौती वसूलने के बाद उसे जिंदा छोड़ दिया गया तो दोनों पकड़े जाएंगे शव को कमरे के बाथरूम में छिपाया गया। मौका मिलते ही नाले में फेंकने की तैयारी थी। पुलिस ने चंद घण्टों में साजिश बेनकाब करते हुए आरोपियों को धर लिया।
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किरायेदारों को क्यों नहीं लगी भनक…..
हरिद्वार: कार्तिक का शव भाजपा नेता की बिल्ड़िंग में मिलने पर सनसनी फैल गई और शुक्रवार की रात काफी संख्या में स्थानीय निवासी भी इकट्ठा हो गए। भवन में संदिग्ध गतिविधियों का आरोप लगाते हुए उनका कहना था कि दूसरे प्रदेशों के अंजान युवक और महिलाएं भी यहां रहती हैं। उनका कोई पता ठिकाना मालूम नहीं है। सवाल वाजिब भी है कि जिस समय शहादत व निपेंद्र ने गला दबाकर कार्तिक की हत्या की, अगल-बगल कई किरायेदार मौजूद थे। लेकिन, किसी को भनक नहीं लगी।
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साथ में करते रहे तलाश……
हरिद्वार किसी को शक न हो, इसके लिए निपेंद्र और शहादत रात से ही कार्तिक के परिवार के साथ उसकी तलाश में जुटे रहे। एसओजी की मदद से कार्तिक के मोबाइल पर तीन ट्रांजेक्शन के मैसेज का पता चलने पर पुलिस ने तीनों दुकानों के कैमरे खंगाले। एक कमरे में लाल जैकेट पहने निपेंद्र की पहचान होने पर थानाध्यक्ष नितेश शर्मा ने शहादत को बहाने से सलेमपुर चौक पर बुलाया। फुटेज दिखाने पर शहादत अंजान बन गया और बहाना बनाकर फरार होने का प्रयास किया। लेकिन, एसओ नितेश शर्मा ने उसे अपनी गाड़ी में बैठा लिया। इस बीच एसओजी की टीम ने निपेंद्र को धर लिया।
पर्दाफाश करने में एसओ बहादराबाद नितेश शर्मा, कस्बा चौकी प्रभारी अशोक सिरस्वाल व एसओजी टीम की अहम भूमिका रही है।