पंच👊नामा-पिरान कलियर: “एक ही सफ मे खड़े हो गये महमूद व अयाज़,, न कोई बंदा रहा और न कोई बंदानवाज़”” इन पंक्तियों का इस्लाम में बड़ा महत्व है। इसी निजाम पर दरगाहों की व्यवस्था चलती है। दरगाहों पर आने वाले तमाम अक़ीदतम चाहे गरीब यो या अमीर, बादशा हो या फकीर सब दरबार मे झुककर प्रवेश करते हैं और मन्नते मुरादे मांगते है। लेकिन कुछ दिनों से इस निजाम का कत्ल कर दिया गया। हैसियतमंद लोगो को वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाने लगा, जिससे निजाम तो गड़बड़ाया ही, साथ ही आस्थावान लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ किया जाने लगा। भेदभाव का पारा चढ़ा तो रसूखदार लोग भी पीछे नही रहे, वीवीआईपी ट्रीटमेंट के साथ कथित हाजरियां होने लगी।
आस्था की नगरी पिरान कलियर में सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह साबिर पाक में देश-विदेश से अकीदतमंद हाजरी के लिए पहुँचते है। इसमें चाहे रसूखदार हो या अदनाह सा मुलाजिम, सभी दरबार मे अक़ीदत से पेश होते है। इन्ही के बीच वीआईपीयो के लिए विशेष इंतेज़ाम है, लेकिन दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद चाहे वीआईपी हो या वीवीआईपी किसी को भी हाजरी की इजाजत नही है। पिछले कुछ सालों से इस प्रक्रिया (नियम) को ताख पर रख दिया गया, और “विशेष रात की खिदमत” में कथित अकीदतमंदों की हाजरी होने लगी, हद तो तब हो गई जब रसूखदार लोग भी रात के अंधेरे में विशेष खिदमत के दौरान दरगाह में प्रवेश करने लगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ देश की राजधानी दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री मौ. इमरान अपने साथियों के साथ बीती रात दरगाह बंद के दौरान विशेष खिदमत में हाजरी लगाने पहुँचे, मंत्री महोदय को ये शरफ़ उन्ही कथित अकीदतमंदों से हासिल हुआ जिनके जिम्मे व्यवस्थाओं का जिम्मा है।
सूत्र बताते है मंत्रीजी को विशेष ख़िदमत में जानबूझकर कर लाया गया ताकि अपना रुतबा दिखाया जा सके। बिडम्बना ये है कि व्यवस्थाओं का जिम्मा रखने वाले भी इस विशेष ट्रीटमेंट पर खामोश रहे। अव सवाल ये उठता है कि ऐसे दरबार मे जहा बादशा भी सर झुकाए हाजिर होते है वहा ये अदनाह से रसूखदार वीवीआईपी ट्रीटमेंट लेकर क्या साबित करना चाहते है, क्या नियम कायदे कानून सिर्फ आमजनता के लिए, क्या व्यवस्थाओं का जिम्मा रखने वालों के सर ये जिम्मेदारी नही है कि वह नियमों को फॉलो करें, सवाल कई है, लेकिन जबाव सिर्फ और सिर्फ खामोशी।
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कई बार हो चुकी ये हरक़त…
दरगाह में होने वाली रात की खिदमत में किसी भी बाहरी व्यक्ति की नो-एंट्री है, लेकिन बावजूद इसके ऐसे कई मामले सामने आचुके है जब विशेष ख़िदमत में बाहरी लोगों ने प्रवेश किया है, लेकिन आजतक दरगाह प्रशासन कोई ठोस कदम नही उठाया पाया।
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बाबा जिलानी के समय में…..
दरगाह के विशेष खादिम रहे बाबा जिलानी रात की खिदमत को अंजाम देते थे, लेकिन उस समय कभी ऐसा नही हुआ कि किसी बाहरी व्यक्ति को विशेष ख़िदमत में एंट्री दे दी गई हो। बाबा जिलानी के लिए दरगाह की अजमत सबसे पहले थी, तभी नियमों के साथ ख़िदमत को अंजाम दिया जाता था।
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क्या कहते है दरगाह सज्जादानशीन….
दरगाह मामूर (बंद) होने के बाद किसी भी आम और खास के लिए हाजरी कराना नियमों के विरुद्ध है, जिनकी जिम्मेदारी रात की खिदमत को अंजाम देना है उनके अलावा यदि कोई आम और खास दरगाह में हाजरी करता है तो वह गलत है, अगर ऐसे हुआ है तो हम इसकी मजम्मत करते है, दरगाह प्रशासन को चाहिए ऐसे लोगों पर कार्रवाई करे जो नियमों का मजाक बनाते है।