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दरियादिली का दूसरा नाम है इस्लाम, मुहम्मद साहब ने दिखाई इंसानियत की राह: प्रमोद कृष्णम..

सेमिनार में बोले आचार्य, जो मजहब मुहब्बत सिखाये, वो दहशतगर्द नहीं हो सकता...

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पंच👊नामा.. हरिद्वार: कुछ लोग इस्लाम को बदनाम करने की नाकाम कोशिश करते है, कहते हैं इस्लाम कट्टरवाद सिखाता है, जबकि मजहब-ए-इस्लाम कट्टरवाद नही बल्कि मुहब्बत का पैगाम देता है, इस्लाम दरियादिली का नाम है, ये विचार अंजुमन गुलामाने मुस्तफ़ा सोसायटी रज़ि. की ओर से हरिद्वार के जवालापुर में ईद-मिलादुन्नबी के उपलक्ष्य में रखी गई सेमिनार में कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा मुझे जितनी खुशी मर्यादा पुरूषोत्तम राम के जन्मोत्सव की होती है उतनी ही खुशी ईद मिलादुन्नबी की भी है।

उन्होंने कहा पैग़म्बर मौहम्मद साहब पूरे आलम के लिए रहमत बनकर आए, उन्होंने मुहब्बत को आम किया, इंसानियत की राह दिखाई, जो मजहब मुहब्बत सिखाता हो वो दहशतगर्द नही हो सकता। आचार्य ने कड़े लहजे में बोलते हुए कहा कि सियासत हर आदमी को करनी चाहिए, लेकिन मुहब्बत और ख़िदमत के लिए ना कि नफरत परोसने के लिए। उन्होंने कहा कि आज हिन्दू मुसलमान होने से पहले एक बेहतर इंसान बनने के जरूरत है।

आचार्य ने कहा नफरत को नफरत से नही मिटाया जा सकता, आग को आग से नही बुझाया जा सकता, जहर को जहर से नही खत्म किया जा सकता, बल्कि जहर को अमृत से मिटाया जा सकता है। उन्होंने कहा सूफ़िसन्तो की ठोकरों में सियासतें रहती है, कुछ फ़िरक़ा परस्त ताकते गलतफहमी लेकर बैठी है। सेमिनार में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने मौहम्मद साहब की शान में पढ़ते हुए कहा कि “गमो से दूर करने की हर इक सौगात लाए है, खुदा शाहिद है वो अनवार की बरसात लाए है, अंधेरे छट गए हर सिम्त रौशन हो गई दुनियां, वो अपने साथ तारों की हसी बारात लाए है।

कार्यक्रम के अंत में दरगाह साबिर पाक के सज्जादानशीन शाह अली एजाज कुद्दुसी साबरी ने अमनो सलामती की दुआं कराई। कार्यक्रम की सदारत खानकाह फैजान-ए-वाहिद के सज्जादानशीन मियां सैय्यद फरीद आलम साबरी ने की।

अंजुमन के सेकेट्री हाजी शादाब कुरैशी, कलियर प्रभारी गुलशाद सिद्दीकी व रुड़की प्रभारी कुँवर शाहिद कार्यक्रम के संयोजक रहे। कार्यक्रम में बतौर मेहमाने ख़ुसूसी पहुँचे सैय्यद असलम मियां, बरेली नातख़्वा हसीब रौनक सकलैनी, शाह यावर मियां, समेत अंजुमन की टीम हाजी शफी खान, हाजी अनीस खान, हाजी गुलजार अंसारी, चौधरी अतीक कुरैशी, सुभान कुरैशी, हाजी जमशेद खान, मकबूल कुरैशी, नईम कुरैशी, असलम सैफ़ी, मुनव्वर कुरैशी, मुनव्वर अली साबरी आदि मौजूद रहे।

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