जाट महासभा पंचपुरी, हरिद्वार के चुनाव विवाद पर उपनिबंधक ने सुनाया निर्णायक फैसला, देवपाल सिंह राठी और देवेन्द्र कुंडू को मिला चुनाव कराने का वैधानिक अधिकार..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: जाट महासभा पंचपुरी, हरिद्वार के चुनावों को लेकर वर्षों से चल रहे विवाद और भ्रम की स्थिति पर अब पूर्ण विराम लगता दिखाई दे रहा है। उपनिबंधक फर्म एवं सोसायटी कार्यालय हरिद्वार ने विस्तृत सुनवाई और साक्ष्यों के आधार पर अपना निर्णय सुनाते हुए दोनों पक्षों के चुनावों को निरस्त कर दिया है। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वर्ष 2015-16 में दर्ज अंतिम वैध कार्यकारिणी ही निवर्तमान मानी जाएगी, जिसके अध्यक्ष चौधरी देवपाल सिंह राठी एवं महामंत्री देवेन्द्र कुंडू रहे हैं।
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विवाद की शुरुआत और घटनाक्रम…..गौरतलब है कि 17 दिसंबर 2013 को चौधरी चरण सिंह घाट सिंहद्वार पर महासभा के आम चुनाव सम्पन्न हुए थे, जिसमें देवपाल सिंह राठी को अध्यक्ष और देवेन्द्र कुंडू को महामंत्री के रूप में सर्वसम्मति से निर्वाचित किया गया था। पूरी चुनावी कार्यवाही विधिवत रूप से उपनिबंधक कार्यालय में जमा कर दी गई थी।
बाद में समाज के ही कुछ अन्य सदस्यों द्वारा उपनिबंधक कार्यालय को पत्र भेजकर इन चुनावों को रजिस्टर न करने की मांग की गई। इसके बाद, लगभग एक वर्ष बाद, दूसरे पक्ष द्वारा भी चुनाव कराए जाने का दावा प्रस्तुत किया गया, जिससे स्थिति और जटिल हो गई।
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सुनवाई और निष्कर्ष…..इस मामले में उपनिबंधक द्वारा दोनों पक्षों —
प्रथम पक्ष: देवपाल सिंह राठी, देवेन्द्र कुंडू
द्वितीय पक्ष: नरेश बालियान, राजबीर सिंह — को 13 दिसंबर 2024 और 5 मार्च 2025 को व्यक्तिगत रूप से कार्यालय में बुलाकर सुनवाई की गई। दोनों पक्षों की प्रस्तुतियों, साक्ष्यों और पत्राचार को गंभीरता से देखने व सुनने के बाद उपनिबंधक महोदय ने 17 अप्रैल 2025 को अपने आदेश में यह कहा कि: “दोनों पक्षों के चुनाव निरस्त किए जाते हैं तथा निवर्तमान कार्यकारिणी (2015/16 की रजिस्टर्ड सूची के अनुसार) को ही वैधानिक अधिकार प्राप्त है। सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 की धारा 25(2) के अंतर्गत यही कार्यकारिणी आगे की चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराए।————————————–
भविष्य की रूपरेखा….
निर्णय के पश्चात समाज के निवर्तमान अध्यक्ष चौधरी देवपाल सिंह राठी ने कहा कि अब जब वैधानिक स्थिति स्पष्ट हो चुकी है, तो महासभा की साधारण सभा की बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी, जिसमें समाज के सभी वैध सदस्यों को समाचार पत्रों, पत्राचार और डिजिटल माध्यमों (व्हाट्सएप आदि) के जरिए आमंत्रित किया जाएगा।
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क्या है प्रभाव…..इस फैसले से न सिर्फ वर्षों पुराने चुनावी विवाद का समाधान हुआ है, बल्कि समाज में संगठनात्मक स्पष्टता और वैधानिक मजबूती का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। अब आगे की प्रक्रिया देवपाल सिंह राठी और देवेन्द्र कुंडू की निगरानी में ही संपन्न कराई जाएगी और वही महासभा के नाम पर लिखने व निर्णय लेने के अधिकारी होंगे।