पंच👊नामा- ब्यूरो, पिरान कलियर: सूफीईज्म का बड़ा मरकज़ दरगाह हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक में यूं तो देश-विदेश से अकीदतमंद आते है और खिराज-ए-अक़ीदत पेश कर मन्नते मुरादे मांगते है लेकिन कुछ कथित अकीदतमंद ऐसे है जो अपने मफाद का कोई भी मौका नही गवाते, मामला दरगाह परिसर में बनी सिदिरियो और हुजरों का है, जहां वर्तमान में ऐसे कथित सूफी लोग काबिज है जिनका लेखाजोखा ना तो दरगाह कार्यालय के पास है और ना ही इनका कोई सत्यापन, ऐसे में सिदिरियो और हुजरों पर काबिज लोग भोलेभाले जायरीनों का बेवकूफ बनाकर अपनी जेबें गर्म करने का काम कर रहे है, जबकि एक समय हुआ करता था जब इन सिदिरियो और हुजरो से सूफियों के मानव कल्याण व इबादत-ए-इलाही की सदाए गूँजती थी। वक़्त के साथ इबादतें इलाही करने वाले सूफिया इकराम पर्दा करते गए और उनकी जगह या उनके शागिर्द ने ले ली या फिर कोई और इनपर काबिज हो गया, अब इन सिदिरियो और हुजरों में मानो पैसे कमाने की दुकानें संचालित हो रही है। बिडम्बना ये है कि व्यवस्थाओ का जिम्मा रखने वाला दरगाह कार्यालय भी इन कब्जाधारियों को चिन्हित नही कर पाया। वर्तमान में आलम ये है कि इन सिदिरियो और हुजरों पर मालिकाना हक रखने वाले लोग खूब अपनी रोटियां सेंक रहे है और दरगाह कार्यालय तमाशबीन बनकर तमाशा देख रहा है। जानकर बताते है कि इन सिदिरियो और हुजरों में हकीम शाह कुरैश मियां, हजरत चिराग अली शाह बाबा, सैय्यद जहाँगीर शाह, अलफदीन साहब जैसी हस्तियों ने इबादतें इलाही और खिदमत-ए-खल्क को अंजाम दिया है।
:-जल्द ही अगली क़िस्त में पढ़े सिदिरियों और हुजरों के गुनाहगारो की कारगुजारी…