पंच👊नामा
सुल्तान, हरिद्वार: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत का टिकट होते ही हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेसियों में स्थित हो की झड़ी लग गई है। प्रमुख दावेदार राजीव चौधरी और हनीफ अंसारी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। वहीं, कांग्रेस के पुराने नेता और हरीश रावत के बेहद करीबी माने जाने वाले मास्टर जगपाल भी कांग्रेसी छोड़कर भाजपा में जा रहे हैं। इनके अलावा कई जगहों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अनुपमा के वोट मांगने आने पर काले झंडे दिखाने तक की चेतावनी दे डाली है। जिससे चुनाव जमने से पहले ही यहां कांग्रेस की नैया डगममाती दिख रही है। इतने भारी विरोध का शायद हरीश रावत को भी दूर-दूर तक अंदेशा नहीं रहा होगा।
हरिद्वार ग्रामीण सीट पर कांग्रेस ने टिकट घोषित करने में फूंक-फूंक कर कदम रखा। लेकिन हुआ आखिर वही जिसका स्थानीय दावेदारों और लोकल कार्यकर्ताओं को अंदेशा था। पार्टी ने लाख प्रयास किया की देर से टिकट जारी कर बगावत को रोक लिया जाए। मगर सारी जद्दोजहद नाकाम साबित हुई दरअसल इसके पीछे एक बड़ा कारण पूर्व सीएम हरीश रावत की ढुलमुल नीति भी है उन्होंने हर सीट पर 8 से 10 दावेदारों को आखिर तक भी यह भरोसा दिलाए रखा के टिकट उन्हीं का होगा। जबकि सूत्र बताते हैं कि पारिवारिक दबाव के आगे खुद हरीश रावत को भी घुटने टेकने पड़े और हरिद्वार ग्रामीण से अनुपमा रावत को प्रत्याशी बनाना पड़ा। स्थानीय दावेदारों की अनदेखी कॉन्ग्रेस को अभी से महंगी पड़ती नजर आ रही है।
टिकट न मिलने से आहत होकर एक के बाद एक कई दावेदारों ने व्यक्तिगत समस्या का हवाला देते हुए काम करने से हाथ खड़े कर दिए हैं। हरिद्वार में संगठन की बात करें तो भाजपा के सामने जीरो से शुरुआत होती है। कर्मठ और समर्पित कार्यकर्ताओं के हाथ झटक ने से अब अनुपमा रावत के लिए जीत एक सपने के जैसी हैं। दावेदारों की नाराजगी के अलावा साल 2017 में पूर्व सीएम हरीश रावत के चुनाव के दौरान अनुपमा रावत और स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच अनगिनत विवाद हुए। यह सारे विवाद अब अनुपमा रावत के लिए चुनाव में मुसीबत बनकर खड़े हो गए हैं।
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रवि बहादुर के लिए भी चुनौतियों का पहाड़……
हरिद्वार: ज्वालापुर सीट पर कांग्रेस ने बरखा रानी का टिकट तो बदल दिया। लेकिन प्रत्याशी बनाए गए रवि बहादुर के लिए चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। बरखा समर्थकों में टिकट बदलने की टीस नजर आ रही है। साथ ही भूप सिंह, रोशन लाल आदि दावेदारों के समर्थक भी नाखुश बताए जा रहे हैं। भाजपा से ज्यादा खतरा यहां कांग्रेस को अपनों की भीतरघात से हैं।