हरिद्वार

रुड़की में सिंचाई विभाग, हरिद्वार में भेल के आवासों पर अफसर-नेताओं की रेलम-पेल..

किसी ने दो, तो किसी ने तीन-तीन सरकारी आवासों पर मारी कुंडली, हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, पूछा सवाल..

पंच👊नामा-ब्यूरो
हरिद्वार: रुड़की में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के सरकारी आवासों की बंदरबांट का मामला हाईकोर्ट पहुंच चुका है। हाई कोर्ट ने खेल पर नाराजगी जताते हुए सरकार से सवाल पूछा है कि नेताओं और अफसर को किस नीति के तहत सरकारी आवास आवंटित किए गए हैं।

फाइल फोटो

हाईकोर्ट की शक्ति के बाद सालों से सिंचाई विभाग के आवासों पर कब्जा जमाने वाले नेताओं अधिकारियों और प्रभावशाली व्यक्तियों में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन इस मुद्दे को अगर हरिद्वार जिले के परिपेक्ष में देखा जाए तो भेल के आवासों पर से ज्यादा रेलम पेल मची हुई है। हालात यह है कि किसी ने दो-दो सरकारी आवास पर कब्जा जमाया हुआ है।

फाइल फोटो

जबकि कई धुरंधर ऐसे हैं जो तीन-तीन आवासों पर कुंडली मारे पड़े हैं। इनमें कई तो ऐसे हैं, जिनको दूसरे जिलों में ट्रांसफर हुए अरसा बीत चुका है। कमाल की बात यह है कि इनमें कई अधिकारी ऐसे हैं, जिनके पास वर्तमान तैनाती वाले जिले में सरकारी आवास होने के साथ-साथ भेल और रुड़की सिंचाई विभाग दोनों जगह आवास आवंटित है।

फाइल फोटो

यह सब जानते हैं कि देश के नवरत्न संस्थानों में शुमार भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड पिछले कुछ समय से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। जिसका फायदा दूसरे विभागों के सरकारी अधिकारी, कर्मचारी और नेताओं ने जमकर उठाया हुआ है। लेकिन रुड़की सिंचाई विभाग आवासों पर कब्जों का मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद अब हरिद्वार में भी भेल व अन्य विभागों के सरकारी आवासों को लेकर हलचल शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कई संस्थाएं इस मामले को लेकर भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में है
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हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा कौन है जिम्मेदार….

फाइल फोटो: हाईकोर्ट नैनीताल

सिंचाई शोध संस्थान रुड़की के आवास गैर सरकारी व्यक्तियों को किराए पर दिए जाने पर कड़ा रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से शपथपत्र पेश करने और यह बताने को कहा है कि आवास आवंटन किस नीति के तहत किया गया? कोर्ट ने कहा कि यदि यह नीतिगत निर्णय नहीं है तो आवासों का नियम विरुद्ध आवंटन करने के जिम्मेदार कौन हैं ? सरकार उनके विरुद्ध तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई करे।

फाइल फोटो: कोर्ट

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हरिद्वार जिले में विधि के छात्र रितिक निषाद की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि सचिव सिंचाई, अधिशासी अधिकारी सिंचाई शोध संस्थान रुड़की व सचिव हाउसिंग अलाटमेंट कमेटी सिंचाई शोध संस्थान रुड़की ने 2004 से 2021-22 तक गैर सरकारी व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं, एलआइसी कर्मियों, राजस्व, वन, व्यापार कर विभाग के कर्मचारियों को आवास का आवंटन किया है।
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रुड़की में इनको आवंटित है आवास…..

फाइल फोटो

इनमें हरिद्वार जिले के विधायकों क्रमश: मदन कौशिक, पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, कुंवर दिव्य प्रताप सिंह चैंपियन, विधायक प्रदीप बत्रा, विधायक फुरकान अहमद, पूर्व विधायक सरबत करीम अंसारी, अमरीश कुमार, फिरदौश, ब्रह्म दत्त त्यागी, वर्तमान में उधम सिंह नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजूनाथ टीसी, संयुक्त सचिव ऊर्जा दिल्ली विनोद कुमार मित्तल, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष हरिद्वार मीनाक्षी, अरविंद गौतम, श्यामवीर सैनी, आशीष सैनी सरीखे नाम प्रमुख हैं।

फाइल फोटो

इनके अलावा राजनीतिक दलों के पदाधिकारी भी अवैध कब्जेदारों में शामिल हैं। इनमें से अनेक आवंटियों ने न तो बकाया किराया जमा किया है और न ही आवास खाली कर रहे हैं। इस मामले में सिंचाई विभाग की ओर से शपथपत्र दाखिल कर बताया गया है कि अवैध रूप से जमे जनप्रतिनिधियों सहित अन्य को बकाया जमा करने का नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में साफ कहा है कि या तो अवशेष किराया जमा करें या आवास खाली कर विभाग को हस्तगत करें।

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